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जगन्नाथजी, बहन सुभद्रा, बलराम को सोना और चांदी के आभूषण चढ़ाया गया

भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम की १४२ वीं रथयात्रा गुरुवार को दोपहर में एक बजे सरसपुर के ननिहाल में पहुंच गई तब पहले से ही इंतजार कर रहे हजारों श्रद्धालु भक्तों ने भगवान जगन्नाथ की भारी उत्साह के साथ प्रसन्न हो गये । ननिहाल में भगवान की एक झलक देखकर भक्तों में विशेष करके महिलाएं-बुजुर्ग देखकर धन्य हो गए । हजारों श्रद्धालु भक्तों ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम भारी उत्साह के साथ स्वागत किया गया । ढोल-नगारा बजाकर भांजा -भांजी का स्वागत किया गया । भगवान को अर्पित होते खिचड़ी, कद्दू और ग्वारफली की सब्जी एवं दही अर्पित किया गया । भगवान को अर्पित करके खिचड़ी, कद्दू और ग्वारफली की सब्जी और ननिहाल के दर्शन के लिए शनिवार को सरसपुर रणछोडजी मंदिर में और जागनाथ महादेव चौक, सरसपुर जहां तीनों रथ को खड़ा रखा जाता है वहां हजारों श्रद्धालु में दर्शन करने के लिए हौड़ मच जाती है ।
खुद ननिहाल द्वारा ही भांजा-भांजी का स्वागत करने की वजह से ननिहाल में हजारों भक्तों में इस बार अलग उत्साह देखने को मिल रहा था । भगवान का ननिहाल सरसपुर है, तब पहलीबार सरसपुरवासियों को स्वागत करने का मौका मिला है । भगवान के भव्य स्वागत के समय में रणछोडजी मंदिर में जय जगन्नाथ, जय रणछोड, माखणचोर सहित के भगवान के नारे से गूंज उठे थे । भगवान का दर्शन करके भक्त धन्य हो गये । भगवान के ननिहाल में रखे गये सोना-चांदी के आभूषण से लेकर अलंकारिक और रंगबिरंगी वस्त्रों और श्रृंगार सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है । ननिहाल में उत्साह के दृश्य देखने को मिल रहा था । रणछोडजी मंदिर के प्रमुख नवीनभाई पटेल और जागनाथ महादेव के ट्रस्टी विपुलभाई त्रिवेदी ने बताया कि, इस बार भगवान को नई डिजाइन के सोना-चांदी के गहने, हार सहित के आभूषण के अलावा रंगबिरंगी और अलंकारिक वाघा-वस्त्रों मामेरा में अर्पित किया गया है । जिसमें भगवान जगन्नाथजी, बहन सुभद्राजी और भाई बलराम को सोने की परत चढ़ाया गया सुंदर चांदी के हार, कान की बाली, अंगूठी सहित के गहने के अलावा बहन सुभद्राजी के लिए विशेष पार्वती श्रृंगार के अलावा कलरफुल डिजाइन में अलंकारिक वस्त्रों और वाघा सहित का सजावट -श्रृंगार भांजे -भांजी को अर्पित किया गया है । इस अवसर पर यजमान कानजीभाई पटेल ने भांजे -भांजी का मामेरा करने का मौका प्राप्त होने से अपने जीवन को धन्य महसूस किया । कानजीभाई ने बताया कि, भगवान जगन्नाथ का मामेरा करने की काफी इच्छा थी । आज से २० वर्ष पहले मामेरा किया था, यह देखकर मुझे इच्छा हुई थी, मैं भी इस तरीके से मामेरा किया, तब मैंने रजिस्ट्रेशन कराया था । इस वर्ष में आखिर में मेरा नंबर लगा है । इसके लिए मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं ।

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