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बैंकों और बीमा कंपनियों में पड़ा है 32,000 करोड़ का लावारिस धन, नहीं है कोई मालिक

देश के विभिन्न वित्तीय संस्थानों के पास 32,000 करोड़ से भी ज्यादा की रकम लावारिस पड़ी है जिनका कोई दावेदार ​ही नहीं है। यह संपत्ति कैश, बैंक खातों, शेयरों, बीमा के रूप में पड़ी है। या तो लोग इन संपत्तियों को भूल गए हैं या फिर कई लोगों ने पैसे जमा करने शुरू तो किए लेकिन मच्योरिटी तक निवेश बरकरार नहीं रख पाए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि बैंकों और बीमा कंपनियों में बिना दावे वाली रकम (अनक्लेम्ड डिपॉजिट) 32,455 करोड़ रुपए पहुंच गई है। अनक्लेम्ड जमा राशि के मामले में देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सबसे आगे है और इसके पास 2156 करोड़ रुपए अनक्लेम्ड जमा राशि के रूप में पड़े हैं। एसबीआई को छोड़कर अन्य सभी राष्ट्रीय बैंकों के पास 9919 करोड़ रुपए, प्राइवेट बैंकों के पास 1851 करोड़ रुपए, विदेशी बैंकों के पास 376 करोड़ रुपए, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पास 271 करोड़ रुपए और स्मॉल फाइनेंस बैंक के पास 2.42 करोड़ रुपए अनक्लेम्ड जमा राशि के रूप में पड़े हैं। 
वित्त मंत्री की ओर गई जानकारी के अनुसार, बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट में पिछले साल 26.8% इजाफा हुआ। यह राशि 14,578 करोड़ रुपए पहुंच गई। सितंबर 2018 तक लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में बिना दावे वाली राशि 16,887.66 करोड़ रुपए जबकि नॉन-लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में 989.62 करोड़ रुपए थी। जानकारी के अनुसार 30 सितंबर 2018 तक बीमा कंपनियों के पास 17,877.28 रुपए अनक्लेम्ड जमा राशि के रूप में पड़े हैं। इसमें जीवन बीमा कंपनियों के पास 16887.66 करोड़ रुपए और गैरजीवन बीमा कंपनियों के पास 989.62 करोड़ रुपए जमा है। खास बात यह है कि जीवन बीमा कंपनियों के पास जमा अनक्लेम्ड राशि में हर साल बढ़ोतरी हो रही है।
सीतारमण ने बताया कि बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को देखते हुए 2014 में आरबीआई ने डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीईएएफ) स्कीम शुरू की थी। इसके तहत 10 साल या ज्यादा समय से निष्क्रिय पड़े सभी अनक्लेम्ड खातों में जमा राशि या वह रकम जिस पर 10 साल से किसी ने दावा नहीं किया है उसकी ब्याज के साथ गणना कर डीईएएफ में डाल दी जाती है। कोई ग्राहक अगर दावा करता है तो बैंक ब्याज के साथ उसे भुगतान कर देते हैं और फिर डीईएएफ से रिफंड का दावा करते हैं।

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