इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एनालिसिस विंग यानी रॉ के नए प्रमुखों की नियुक्ति के साथ ही भारत के सुरक्षा प्रमुखों को लेकर एक रोचक संयोग देखने को मिल रहा है । एनआईए, बीएसएफ से लेकर सिविल एविएशन सिक्यॉरिटी तक में १९८४ बैच के आईपीएस अफसरों का दबदबा है । यह संयोग ही है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन अथॉरिटी के प्रमुख १९८४ बैच के ही हैं । इनमें से ज्यादातर अधिकारियों को संबंधित बलों और एजेंसियों में डीजीपी के तौर पर तैनात किया गया है । यह सिलसिला २०१७ में शुरू हुआ, जब १९८४ बैच के असम-मेघालय काडर के अधिकारी वाईसी मोदी को सितंबर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का महानिदेशक नियुक्त किया गया । इसके बाद कई अन्य अधिकारी नियुक्त हुए, जो १९८४ बैच के ही थे । अब इन अधिकारियों को ‘लकी क्लास ऑफ ८४’ कहा जा रहा है । वाईसी मोदी के बाद जनवरी २०१८ में तेलंगाना काडर के सुदीप लखटकिया को नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड का महानिदेशक बनाया गया । इसके तीन महीने बाद ही बिहार काडर के अधिकारी राजेश रंजन को अप्रैल २०१८ में सीआईएसएफ का महानिदेशक बनाया गया । सीआईएसएफ के चीफ बनने से पहले वह बीएसएफ में विशेष महानिदेशक थे । रजनीकांत मिश्रा से अस्थाना तक ‘लकी बैच १९८४’ यह सिलसिला आगे भी जारी रहा और ५ महीने बाद १९८४ बैच के यूपी काडर के अधिकारी रजनीकांत मिश्रा को बीएसएफ चीफ नियुक्त किया गया । मिश्रा के बाद हरियाणा काडर के अधिकारी एस.एस. देशवाल को इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस का चीफ बनाया गया । आईटीबीपी के मुखिया बनने से पहले देशवाल सीमा सुरक्षा बल के चीफ थे । जनवरी में गुजरात काडर के अधिकारी राकेश अस्थाना को उड्डयन सुरक्षा निदेशालय का महानिदेशक नियुक्त किया गया । १९८४ बैच के अफसरों का यह लक बुधवार को एक बार फिर नजर आया, जब पीएम मोदी ने सामंत गोयल को रॉ का चीफ बनाया और उनके ही बैचमेट अरविंद कुमार को आईबी का निदेशक नियुक्त किया ।
પાછલી પોસ્ટ