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संसदीय समिति की रिपोर्ट में खुलासा : नहीं हैं सरकार के पास ब्लैक मनी के आंकड़े

मोदी सरकार ब्लैकमनी पर चोट करने के लिए नोटबंदी और बेनामी संपत्ति को लेकर लगातार फैसले ले रही है। इस बीच संसदीय समिति की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1980 से 2010 के बीच विदेशों में जमा अघोषित संपत्ति 216.48 अरब डॉलर से 490 अरब डॉलर के बीच रहने का अनुमान है। लोकसभा में वित्त पर स्टैंडिंग कमेटी की एक रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट पर काले धन को लेकर विस्तार से टिप्पणी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन सैक्टर्स में काला धन सबसे ज्यादा है वह रीयल एस्टेट, माइनिंग, फार्मा, पान मसाला, गुटखा, टोबैको, बुलियन, फिल्म और एजुकेशन हैं। बता दें कि 2009 के लोकसभा चुनाव में काले धन का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवानी ने इसे उठाया था। मार्च 2011 में यू.पी.ए. सरकार के वित्त मंत्रालय ने यह कमेटी बनाई थी और इन तीनों संस्थाओं को कहा था कि वे अध्ययन कर इस बात का पता लगाएं कि देश के अंदर और बाहर कितना काला धन है। 
संसद में समिति द्वारा यह रिपोर्ट देश के 3 प्रतिष्ठित आर्थिक और वित्तीय शोध संस्थानों राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एन.आई.पी.एफ.पी.), राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक शोध परिषद (एन.सी.ए.ई.आर.) और राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंध संस्थान (एन.आई.एफ.एम.) के अध्ययनों के आधार पर रखी गई है। एन.सी.ए.ई.आर. ने अपने अध्ययन में पाया है कि 1980 से 2010 के बीच भारतीयों ने 384 बिलियन डॉलर से लेकर 490 बिलियन डॉलर काला धन विदेशों में जमा किया। एन.आई.एफ.एम. का आकलन है कि 1990-2008 के बीच 216.48 बिलियन डॉलर अवैध तरीके से विदेश भेजा गया। रुपयों में यह रकम 9 लाख 41 हजार 837 करोड़ आती है। एन.आई.पी.एफ.पी. ने अपने अध्ययन में पाया कि 1997 से लेकर 2009 के बीच देश से भेजा गया काला धन जी.डी.पी. का 0.2 से लेकर 7.4 प्रतिशत था। 
कांग्रेस के एम. वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति के मुताबिक ऐसा लगता है कि अघोषित धन संपत्ति का कोई विश्वसनीय आकलन करना बड़ा कठिन काम है। ऐसे में इन तीनों रिपोर्टों के आंकड़ों के आधार पर अघोषित संपत्ति का कोई एक सांझा अनुमान निकालने की गुंजाइश नहीं है। बता दें कि इस स्थायी समिति ने 16वीं लोकसभा भंग होने से पहले बीते 28 मार्च को ही लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इसके बाद आम चुनाव हुए और 17वीं लोकसभा का गठन हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि काला धन पैदा होने या जमा होने को लेकर कोई विश्वसनीय अनुमान नहीं है और न ही इस तरह का आकलन करने की कोई सर्वमान्य पद्धति है। संसदीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने राय दी है कि इन तीनों रिपोर्टों को मिलाकर एक अघोषित धन एक सर्वमान्य आकलन पर आने की कोई गुंजाइश नहीं है।

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