राष्ट्रीय खुदरा नीति पर चर्चा के लिए व्यापार संघों के साथ आज वाणिज्य मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में, डीपीआईआईटी के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि राष्ट्रीय खुदरा नीति का एक मसौदा अगले दस दिनों में जारी किया जाएगा। और उस पर व्यापार संघों से सुझाव मांगे जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के खुदरा व्यापार की जमीनी हकीकत को समझने के लिए सभी स्तरों पर अपना प्रयास किया है और तदनुसार नीति को व्यापारियों को कठिनाइयों से राहत देने और उन्हें अपने व्यवसाय को एक संगठित तरीके से विकसित करने के लिए तैयार किया जा रहा है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक हो सकेगी।
राष्ट्रीय खुदरा नीति भारत में खुदरा व्यापार को सुव्यवस्थित करेगी और व्यापार करने में आसानी प्रदान करने के लिए सक्षम होगी है। उन्होंने कहा कि भारत में खुदरा व्यापार लगभग 650 बिलियन डॉलर और अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है इसलिए राष्ट्रीय खुदरा नीति व्यापारियों एवं अन्य सम्बंधित वर्गों के लिए एक सुव्यस्थित व्यापारिक माहौल तैयार करेगी। मीटिंग में भाग लेते हुए, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि राष्ट्रीय खुदरा नीति में खुदरा व्यापार के मौजूदा प्रारूप के उन्नयन और आधुनिकीकरण को शामिल किया जाना चाहिए।
सरकार लगभग ई प्रणाली अपना चुकी है, जबकि अब तक 7 करोड़ में से केवल 35% व्यापारी ही अपना व्यवसाय कम्प्यूटरीकृत कर पाए हैं बाकी 65% व्यापारियों को कंप्यूटर सिस्टम से जोड़ने के लिए गंभीर कदमों की आवश्यकता है और इसके लिए सरकार को व्यापारियों को कंप्यूटर खरीद पर 50% सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए। खंडेलवाल ने यह भी कहा कि घरेलू व्यापार को नियंत्रित करने वाले सभी कानूनों, अधिनियमों और नियमों की समीक्षा की जानी चाहिए और निरर्थक कानूनों को खत्म किया जाना चाहिए।
व्यापार के संचालन के लिए 28 से अधिक लाइसेंस के बजाय एक लाइसेंस होना चाहिए और उनके वार्षिक नवीनीकरण को समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह व्यापारियों के लिए बहुत उत्पीड़न और भ्रष्टाचार का कारण बनता है। श्री खंडेलवाल ने अधिक महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नीति के तहत विशेष योजना की मांग की। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि व्यापारियों के कौशल विकास को भी नीति में जगह मिलनी चाहिए और खुदरा व्यापार के लिए एक कौशल विकास परिषद का गठन करना बेहतर होगा। उन्होंने व्यापारियों पर लागू समग्र कर संरचना के सरलीकरण और व्यापारियों के लिए कर कलेक्टर का दर्जा देने की भी मांग की।