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मानव बस्ती के बीच में प्लास्टिक की फैक्टरीयां क्यों…? मानव की हैल्थ का क्या..?

गुजरात के सूरत में तक्षशिला अग्निकांड की आग अभी सिराई नही है कि सूरत में एक बार फिर से आग लगने की घटना सामने आई। सूरत शहर के भटार इलाके में वोवेन प्लास्टिक की थेली बनाने वाली फैक्टरी में आग लग गई। फिलहाल गनीमत रही कि आग पर फायर ब्रिगेड की टीमने ने काबु कर लिया था। आपको बतां दे प्लास्टिक की थेली बनाने वाली फैक्टरी स्कुल के बाजु में ही चल रही थी लेकिन शुक्र है भगवान का कि स्कुल के किसी बच्चे को कोई चोट नही आई यह फैक्ट्री स्थानीय भाजपा पार्षद और महानगर पालिका के चेयरमेन मुकेश पटेल की है। जिसकी बगल में ही ज्ञान गंगा हिंदी विद्यालय आई है। इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक के बच्चे पढ़ते हैं। 
सूरत में आग भले ही भाजपा नेता की फैक्ट्री में लगी हो, मगर सबकी नजर यहां स्थित ज्ञान गंगा हिंदी विद्यालय स्कूल पर थी। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी यह सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में स्कूल कैसे चल रहा है…? शिक्षा विभाग ने कमर्शियल कॉम्पलेक्स में स्कूल चलाने की इजाजत कैसे दी और प्रशासन ने अभी तकइस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? आपको बता दे कि गुजरात में प्लास्टिक पर सरकार द्वारा पांबदी लगाई गई है फिर भी सुरत के स्थानीय भाजपा पार्षद और महानगरपालिका के चेयरमेन मुकेश पटेल प्लास्टिक की थेली बनाने वाली फैक्टरी चला रहे थे। 
मतलब साफ है कि हम करे तो ठीक…? दुसरा करे तो गुन्हा…? फिलहाल महानरपालिका के चेरमेन को पता होगा ही की प्लास्टिक की थैली पर गुजरात में बेन लगाई गई है फिर भी भाजपा के कमल के तले प्रदुषण को दुषित करने का काम भाजपा के पार्शद और महानगर पालिका के चेयरमेन मुकेश पटेल कर रहे है । जब कोई घटना विकराल स्वरुप धारण कर लेती है तब सरकार और महानगरपालिका उस विषय में एक्शन लेती है..? या फिर सुरत तक्षशिला अग्निकांड एक सरकार के महानगरपालिका के लिए एक सबक नही था कि फिर से सुरत महानगपालिका एक और घटना की राह देख रही थी । सूरत महानगपालिका भाजपा के पार्शद और महानगरपालिका के चेरमेन मुकेश पटेल पर कार्यवाही करेगी या नही..? याफिर येसे ही छोड दीये जायेगें। गनीमत है कि ज्ञान गंगा हिंदी विद्यालय के बच्चों को समय से पहले बहार निकाललिया। नही तो जानहानि हो सकती थी…?
सूरत तक्षशिला कोम्पलेक्ष में आग की घटना बनने के बाद कुछ दिन तक सरकार फायर शेफ्टी लेकर पहेलीयां बुझाती रही लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया कि सरकार ने इस घयना के उपर भी मिट्टी डाल दि। लेकिन पुरी तरह से जांच की ही गई नही। आज फिर कई माता पिता के जीगर के टुकडे मोत के मुंख से बहार आये। फिलहाल देखा जाये तो महानगपालिका द्वारा कोचिंग क्लासिस अथवा फायर शेफ्टी उपर प्रकिया ढंग से की ही नही है। दमकल विभाग के दो अधिकारियों को लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार कर उन्है सस्पेन्ड करने से 22 छात्रों वापस नही आ जायेगें।

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