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आम नागरिक पुलिस की विकृत मानसिकता की मजाक के लिये बने है क्या…?

ब्रीटीश काल में अग्रेजो की पुलिस द्वारा आम लोगो पर बेरहेमी से अत्याचार होता था। भारत गुलाम था इसलिये कीसी को बोलने की या विरोध करने की जरा सी भी गुंजाइश नहीं थी। लेकिन अब तो भारत आझाद है, आझादी के 75 वर्ष पूरे होने के जश्न की तैयारीयां चल रही है लेकिन पुलिस की मानसिक्ता में लगता है की कोइ बदलाव नहीं आया या आझादी के बाद सभी सरकारों ने पुलिस की बर्बतावाली मानसिक्ता में बदलाव लाने की कोइ कोशिश लगता है की नहीं की। क्योंकी यदि ऐसा होता तो आम लोगों की पुलिस द्वारा ऐसी पिटाइ नहीं होती जैसी फिरंगीयों के राज में होती थी। देश की राजधानी दिल्ही में एक सिख टैम्पो चालक ने अपने बचाव में सिख धर्म का पालन करते हुये किरपाण या तलवार निकाली लेकिन उससे कीसी पुलिस की जान नहीं गई मगर उसके साथ क्या किया…? इस सिख के शरीर पर पुलिस की लाठीयों के जो निशान या घाव है उसे देख कर कीसी भी लोकप्रिय नेता को जरूर से गुस्सा आता पुलिस पर लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुवा। हम तो जीत गये, ताक्त है कीसी की कि पांच साल से पहले दूर करे….ये मानसिक्ता जैसी ही पुलिस की मानसिक्ता है की लोग को पिटाइ के लिये ही है…!
युपी में एन्काउन्टर पर आरोप लगे है। कइ मामले अदालत में पहुंचे है। पुलिस ने आधी रात को कार नहीं रोकने पर एपल कंपनी के मैनेजर को नजदिक से गोली मार हत्या कर दी। परिवार को 50 लाख और नौकरी दे कर मामला शांत हो गया। पुलिस के पास गोलीयां खत्म हो गइ तो मूंह से धांय….धांय….बोल के बदमाशो को डराने का मामला भी सामने आया है। अभी एक और विडियो वायरल हुवा। युपी पुलिस द्वारा ही ये विडियो लगाया गया। जिस में पुलिस सरेराह जा रहे बाइक सवार को बंदूक की नोक पर रोक रही है, उसे फिल्मी अंदाज में हैन्ड्स अप कह कर हाथ उपर करने को कहा गया और फिर उप पर बंदूक से निशाना ताक कर उसकी तलाशी ली गइ…! पुलिस ने कहा की ये मोक ड्रिल है….असल में क्या होगा अयोध्यावाले रामजी ही जाने…! पुलिस को बचाव है की कुछ बदमाश पुलिस पर ताबडतोड हमला कर देते है इसलिये बंदूक तानी गइ है ताकी पुलिस पर वार न हो। लेकिन साबजी….यदि ताकी हुई दंबूक से गलती से गोली चल गइ तो…? कीसी निर्दोष की जान गइ, कीसी का परिवार उजड गया और फिर फिर से 25 लाख या 50 लाख देकर मामला शांत। लेकिन दोषी पुलिस को क्या सजा मिली….?
अभी गुजरात में भी एक शराबी को पुलिस ने दिल्हीवाले सिख की तरह इतना पिटा की उसके लाल घाव देख कर सरकार में कीसी का दिल नहीं पिघला। दिल्ही में तो सिखों ने भारी हंगामा किया और अनूठी एक्ता जताइ लेकिन गुजरात में…? मुझे क्या…? मेरा क्या…? गुजरात में सरकार नें पुलिस के सामने क्या ऐक्शन लिया रामजी जाने। युपी हो या गुजरात या फिर दिल्ही.. क्या पुलिस की मानसिक्ता विकृत होती जा रही है….? धांय….धांय…और हैन्ड्स अप जैसा करने से क्या वे मजा ले रहे है….? क्या भारत का आम आदमी पुलिस की मजाक का भद्दा शिकार बनता जा रहा है क्या…? सरकार को देश के मनोरोगी चिकित्सकों की सेवायें लेकर ऐसे पुलिसवालों का मानसिक परिक्षण या जांच करवानी चाहिये ताकि कोइ निर्दोष उनकी गोली का निशाना न बने। भारी रकम दे कर मामला शांत तो हो जाता है लेकिन ऐसा क्यों हुवा और उसे फिर से रोकने के लिये क्या किया जाना उसका अध्ययन विदेश की तरह भारत में कितना होता…? यदि होता है या हुवा है तो उसकी रपट सार्जनिक होनी चाहिये। वर्ना होता ये की आज तो बंदूक तान कर HANDS UP कहा….कल को तो आम नागरिक को जमीन पर लिटा दिये जायेंगे पुलिस की सुरक्षा के लिये…और पुलिस गोली भी मार दे तो भी क्या…! इस मानसिक्ता के खिलाफ नागरिक संगठनें सरकार में पेशकश करें और लोकतंत्र में पुलिस पर लोगो का और कानून का डर हो ऐसा माहौल कब होंगा…? अरे….ये हैन्ड्स अप की आवाज कहां से आ रही….? बंगाल से…? क्या कहा…जयश्री राम बोलने पर पुलिस ने गोली चलाइ….? बंगाल की पुलिस ऐसा करे तो गुड…गुड…वेरी गुड लेकिन युपी में गोली चले तो….वो तो छंटा हुवा बदमाश था, पुलिस ने सही किया…मंदिर वही बनायेंगे….अरे भाइ तारीख तो बताइये आप ही के साथी शिवसेना जानना चाह रहे है, लोग तो बेचारे दो वक्त की रोटी के लिये….पुराना हो या नया हो भारत में, पसीना बहा रहे है…आप दंबूक तानो…लाठीयां चलावो…बोले सो निहाल….सतश्री अकाल…!

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