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पाक आतंकी संगठनों पर रोक लगाने में नाकाम, FATF ग्रे लिस्ट में ही रखेगा नाम

आतंकी संगठनों पर रोक लगाने में नाकाम पाकिस्तान को FATF ने बड़ा झटका दिया है। आतंकी वित्त पोषण पर नजर रखने वाली 38 सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय संस्था FATF ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकवादी समूहों का वित्त पोषण रोक पाने में असफल रहने पर पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का फैसला किया है। सूत्रों ने बताया कि आर्थिक कार्रवाई दल (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को 27 सूत्री कार्ययोजना लागू करने के लिए सितंबर तक का वक्त दिया है। अमेरिका के फ्लोरिडा में एक सप्ताह तक चली अपनी बैठक में FATF ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अपनी धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद तथा आतंकी वित्त पोषण संबंधी वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस, सत्यापन योग्य, अपरिवर्तनीय और विश्वसनीय कदम उठाए। 
FATF प्रवक्ता ने कहा, FATF ने तय किया है कि जनवरी और मई 2019 के लिए तय कार्ययोजना को लागू करने में पाकिस्तान की असफलता के मद्देनजर उसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) की ‘ग्रे सूची’ में रहने दिया जाए। इससे पाकिस्तान की वित्तीय परेशानियां और बढ़ेंगी। FATF ने कहा, हम पाकिस्तान से आशा करते हैं कि वह बचे हुए समय में, सितंबर 2019 तक FATF कार्ययोजना को पूर्ण और प्रभावी तरीके से लागू करेगा। उसने FATF से राजनीतिक प्रतिबद्धता जताई थी कि वह अपनी धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद तथा आतंकी वित्त पोषण संबंधी वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस, सत्यापन योग्य, अपरिवर्तनीय और विश्वसनीय कदम उठाएगा।
FATF की बैठक के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सहित कई देशों ने उसकी सीमा में हो रही आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित नहीं कर पाने और आतंकी सरगनों हाफिज साईद तथा मसूद अजहर के खिलाफ आतंकवाद-निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज नहीं करने के लिए पाकिस्तान को लेकर चिंता जताई गई। पाकिस्तान लगातार कह रहा है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की 700 से ज्यादा संपत्तियां जब्त की हैं। उसने 2012 में भी ‘ग्रे सूची’ में डाले जाने के बाद ऐसा कहा था। FATF सदस्य इस बात से चिंतित हैं कि सईद और मसूद सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित अन्य सरगनों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है। एफएटीएफ पूर्णाधिवेशन और अन्य संबंधित चर्चों में पाकिस्तान को लेकर भारत का रवैया हमेशा एक समान रहा है। भारत ने फरवरी 2018 में भी अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के कदम का समर्थन किया था।

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