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RBI गवर्नर ने कहा- अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार खो रही, निर्णायक मौद्रिक नीति की जरूरत

भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने 3-6 जून के बीच हुई मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में कहा था कि साफ तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार खो रही है। इसकी वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए एक निर्णायक मौद्रिक नीति की जरूरत है। बैठक के बाद आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। गुरुवार को इसी बैठक का ब्यौरा जारी किया गया। दास ने बैठक में कहा कि ग्राहकों को पिछली दो बार नीतिगत दर कटौती का लाभ देने के बाद भी 2019-20 में मुख्य मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत से नीचे रहने का ही अनुमान है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में घटकर 5.8 प्रतिशत रही।
दास ने इस बात पर जोर दिया कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए। यह इस बात का भी संकेत है कि वृद्धि को बढ़ाने के लिए भविष्य में और भी कदम उठाए जा सकते हैं। आरबीआई के डिप्टी गर्वनर और समिति के सदस्य विरल आचार्य ने कहा कि आर्थिक वृद्धि की तस्वीर मिली-जुली है। पिछले दो तिमाहियों में इसकी रफ्तार धीमी पड़ी है। कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनमें मानसून का कमजोर होना और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल है। आचार्य के मुताबिक, ”मेरे असमंजस और कुछ हिचकिचाहट के बावजूद मैं नीतिगत दर को 6 प्रतिशत से घटाकर 5.75 करने के पक्ष में मतदान करता हूं।” कार्यकारी निदेशक माइकल देबव्रत पात्रा ने कहा- मौद्रिक नीति के मुख्य लक्ष्य के सामने चुनौतियां नरम हो रही हैं। समिति के अन्य तीन सदस्य रवींद्र एच.ढोलकिया, पामी दुआ और चेतन घाटे ने भी नीतिगत दर को घटाने के पक्ष में मतदान किया। रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती की है। जनवरी 2019 के बाद से अब तक 0.75 प्रतिशत की कमी की जा चुकी है।

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