Aapnu Gujarat
બ્લોગ

आरोप लगे- क्लीन चीट मिली, परिवार के सदस्यों नौकरी बहाल तो फिर आखिर हुवा क्या था…?

भारत की सब से बडी अदालत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर एक महिला द्वारा यौन उत्पीडन के आरोप लगे तब पूरे देश में सनसनी मच गई थी। यह महिला सीजेआइ के निवासस्थान पर ही काम करती थी। महिलाने बताया की यौन पिडित के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया। उसके पति और परिवार का एक अन्य सदस्य को भी दिल्ही पुलिस से निकाल देने के बात कही थी। मामले की जांच हुई और जस्टीस गोगोईजी को क्लीन चीट मिल गई। आरोप लगानेवाली महिला के पति और परिवार का अन्य सदस्य उन्हें दिल्ही पुलिस में बहाल कर दिये गये। दोनों दिल्ही पुलिस में हैड कांन्स्टेबल है। दोनों के खिलाफ विभागिय जांच अभी भी लंबित है फिर भा निलंबन आदेश रद्द कर ड्युटी पर ले लिये गये। आला अफसर ने निलंबन आदेश को रद्द करने की वजह नहीं दी। और ऐसे मामले में वजह मिलने की कोइ आशा भी नहीं होती। क्लीनचीट के बाद जस्टीस गोगोईजी भी शांत है। उनके दामन पर लगा सब से बडा धब्बा धूल गया। यह भी एक अच्छी बात है। लेकिन आरोप लगे तब जो देश दुनिया को बताया गया उसका क्या…?
कुछ दौलतमंद लोग मुझे पैसे से खरिदना चाहते है लेकिन मैं ऐसा नहीं इसलिये मेरे खिलाफ ये (यौन अत्पीडन के आरोप) साजिश रची गइ। अदालत में वे कुछ अहम केसो की सुनवाई करनेवाले है इसलिये उसे रोकने के लिये उनके खिलाफ ये षडयंत्र रचा गया है…आदि कहा गया। कोइ उत्सव बैंस नामक वकील ने तो इन बडी ताक्तों के नाम भी दिये और उसे कोर्ट में रखे गये। कुछ कार्पोरेट कंपनी का नाम भी इसमें बाहर आया। जांच सुनवाइ के दौरान पिडित महिला ने कहा की उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद कम है। इसलिये वे पेश नहीं होंगी। महिला को पेशी के लिये अपना वकील रखने की भी इजाजत नहीं दी गई। धीरे धीरे मानो बात आइ गइ हो गई और फिर पिडित महिला के पति और उनके देवर को फिर से नौकरी में ले लिये गये। महिला को फिर से नौकरी में ली गई या नहीं ये अभी खबर नहीं आई। हो सकता है की उसे भी हौले से नौकरी में बहाल कर दी जायेंगी।
महिला को फिर से नौकरी में बहाल करे या उनके परिवार के सदस्यों को लेकिन जो बाते आरोप लगने के बाद लोगों के समक्ष रखी गइ उसका फिर क्या हुवा क्या ये जानने का मौलिक अधिकार आम नागरिक को नहीं…? आखिर वे दौलतमंद ताक्ते कौन है जो भारत के प्रधान न्यायाधीश को अपनी दौलत से खरीदना चाहते थे…? आखिर वे कौन से अहम केस थे जो जस्टीस गोगोईजी की अदालत में चलनेवाले थे….? वकील उत्सव द्वारा अदालत में एफिडेविट के जरिये जो चौंका देनेवाली कुछ बातें पेश की गइ उसकी जांच हुई या हो रही है…? क्यों प्रधान न्यायाधीश को अपना बैंक बैलेन्स बताने की जरूररत पडी थी…? आखिर ऐसा क्या हो गया की विभागिय जांच के चलते पिडित महिला के परिवारजनों को क्यों फिर से नौकरी में बहाल किये गये…? ये सवालों के जवाब आम लोगों को मिलने उम्मीद बहोत ही कम है। कीसे ने आरोप लगया-जांच बैठाइ गई-क्लीनचीट निकले-कीसी को नौकरी में बहाल कर दिये गये और उस वार्ता में होता है वैसे खाया-पिया राज किया। बात और मसला पूरा हो गया। तो पेडित महिला से ये सवाल की तो फिर क्या आरोप गलत थे…? जब कुछ हुवा ही नहीं तो फिर आरोप क्यों लगाये…क्यों भारत के सीजेआइ पर काला धब्बा लगाया….क्या इस महिला पर गलत आरोप लगाने का केस नहीं बनता…? सवाल अनेक जवाब नको रे बाबा नको…!!

Related posts

વરૂણ ધવન : નિર્માતા – દિગ્દર્શકો માટે ટંકશાળ બની ગયો

aapnugujarat

રેલ્વેને વધુ સેફ્ટી સાથે તૈયાર કરાય તો અકસ્માત ને ટાળી શકાય

aapnugujarat

भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो मारे जाएंगे 10 करोड़ लोग : रिपोर्ट

aapnugujarat

Leave a Comment

UA-96247877-1