उत्तर प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों के लिए योगी सरकार नया अध्यादेश लाई है । इसके मुताबिक, अब निजी विश्वविद्यालयों को अप्रूवल के लिए एक शपथपत्र देना होगा कि वह (यूनिवर्सिटी) किसी भी प्रकार की राष्ट्र विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं होगी और साथ में कैंपस में इस तरह की गतिविधियां नहीं होने की जाएंगी । उन्हें शपथपत्र में यह भी देना होगा कि वे अपनी यूनिवर्सिटी का नाम किसी भी राष्ट्र विरोधी गतिविधि में इस्तेमाल नहीं होने देंगे । अगर ऐसा हुआ तो यह ऐक्ट का उल्लंघन माना जाएगा और सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है । यूपी में मौजूदा समय में २७ निजी विश्वविद्याल हैं । इन सभी को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अध्यादेश, २०१९ के अनुसार नियमों का पालन करने के लिए एक साल का समय दिया गया है । यह नया अध्यादेश मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पारित किया गया । अध्यादेश अब १८ जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में रखा जाएगा । इस मामले में डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है कि विश्वविद्यालयों में सिर्फ शिक्षा दी जाए न कि वहां राष्ट्र विरोध गतिविधियां पनपें । इस अध्यादेश में विश्वविद्यालयों के उद्देश्यों में राष्ट्रीय एकीकरण, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक समानता और अंतर्राष्ट्रीय सद्भाव की भावना को शामिल करने का भी प्रावधान किया गया है । इसके मुताबिक, किसी को मानद डिग्री देने के लिए विश्वविद्यालयों को सरकार से अनुमोदन करवाना होगा । कार्यपरिषद की बैठक एक तय समय में जरूरी होगी । इसमें राज्य सरकार का प्रतिनिधि भी होगा । पहले परिनियम बनाने की शक्ति कार्यपरिषद को थी । अब इसका सरकार से अनुमोदन जरूरी होगा । शासन को तीन महीने के भीतर अनुमोदन करना होगा । निर्धारित अवधि में आपत्तियां बताए बिना अनुमोदन न करने पर इसे स्वतः अनुमोदित माना जाएगा । विश्वविद्यालय प्रावधानों का अनुपालन कर रहे हैं ।
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