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सालाना 10 लाख का कैश विड्रॉल करने पर देना पड़ सकता है टैक्स

डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार अब एक और नियम ला सकती है। एक साल में 10 लाख रुपए से ज्यादा की नकद निकासी करने पर आपको टैक्स देना पड़ सकता है। दरअसल, केंद्र सरकार का उद्देश्य कागजी मुद्रा के उपयोग को कम करने के साथ ही काले धन पर अंकुश लगाना और सभी तरह के डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना है। इतना ही नहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार सरकार एक और नियम पर विचार कर रही है। भारी रकम निकासी करने वाले लोगों की पहचान करने के लिए सरकार आधार प्रमाणीकरण को अनिवार्य करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इससे नकद लेनदेन का टैक्स रिटर्न से आसानी से मिलान हो सकेगा। 
जिस तरह 50 हजार से अधिक पैसा जमा करने पर पैन कार्ड दिया जाता है, उसी तरह 10 लाख से ज्यादा की नकद निकासी पर सरकार द्वारा आधार संख्या को अनिवार्य किया जा सकता है। यूआईडी प्रमाणीकरण और ओटीपी यह सुनिश्चित करेगा कि आधार संख्या का दुरुपयोग न हो सके। मनरेगा के लाभार्थियों को आधार का इस्तेमाल कर ऑथेंटिकेट रसीद की आवश्यकता होती है लेकिन अगर कोई 5 लाख रुपए की नकद निकासी करता है तो ऐसा नहीं होता। 
मोदी-2.0 सरकार का पहला आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को पेश करेंगी। पांच जुलाई को बजट में इस नियम की घोषणा की जा सकती है। दरअसल सरकार यह नहीं चाहती है कि मध्य वर्ग लोगों पर और गरीबों पर कानूनी बोझ बढ़ें। हालांकि इस कदम को अभी अंतिम रूप देना बाकी है। एक दशक पहले यूपीए सरकार ने इस दिशा में ट्रांसफर टैक्स लागू किया था। हालांकि हंगामे के बाद उसे यह वापस लेना पड़ा था। साल 2016 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में मुख्यमंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति ने ‘नकद उपयोग’ को कम करने के उपाय दिए थे और 50 हजार रुपए से अधिक की नकदी निकासी पर फिर से टैक्स लगाने की सिफारिश की थी। इसके साथ ही एसआईटी ने भी डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए कई सुझाव दिए थे।

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