(1) तुलना के खेल में मत उलझो,
क्युंकि इस खेल का कहीं कोई अंत नही..!
जहाँ तुलना की शुरुआत होती है,
वह से आनंद और अपनापन खत्म होता है…..!.
(2) कोई भी सम्बन्ध टूटना नहीं चाहिए..
अगर सम्बन्ध टूटने के निमित्त स्वरूप इगो, पैसा और भौतिक संपती है तो उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ आप ही हे ।