राज्य में महिलाओं को सुरक्षा देने की और बेटी बचाओ-बेटी पढाओ के नारे देने वाली भाजपा की राज्य सरकार महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा की चिंता नहीं करती है । सरकारी खर्च सिर्फ महिला सम्मेलनों को आयोजित करने और नारे में देने में किया जाता है जबकि पिछले दो वर्ष में राज्य में से १३,५७४ महिलाएं लापता हुई है । राज्य में बच्चे लापता होने के आंकड़े राज्य सरकार और गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री की विफलता का आरोप लगाते हुए गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनीष दोशी ने बताया कि जिस तरीके से आंकड़े सामने आये इसमें विशेष करके बेटी कितनी है यह जांच का विषय है । मानव तस्करी रोकने के लिए राज्य सरकार सक्रिय हो यह बहुत ही जरूरी है । दो वर्ष में राज्य में ४,९८९ बच्चे लापता हुए हैं । राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़े के अनुसार राज्य में से ४२,४३२ बच्चे लापता हुए हैं इसमें से १४,८८१ बच्चे लंबे समय से लापता है, जबकि १४,३०१ व्यक्ति लापता है यह लापता व्यक्तियों को ढूढ़ने में प्रशासन विफल हो गया है । राज्य में और देश में लापता हुए बच्चों, महिलाओं के मामले में पीआईएल में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष २०१२-१३ में राज्य के मुख्य सचिव को राज्य में से लापता हुए बच्चों की जानकारी पेश करने के लिए दो बार नोटिस भेजी गई थी फिर भी राज्य सरकार जानकारियों को पेश नहीं कर सकी । इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए लापता हुए बच्चों के मामले में संबंधित समय में आंकड़ा पेश किया गया था । राज्य में लापता हुए बच्चों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों को दिए आदेश में अंतरराज्यीय एकीकरण, राज्य में विभिन्न जिलों में संकलन, लापता हुए बच्चों की जानकारियां प्रदर्शित करती वेबसाइट, लापता हुए बच्चों की हेल्पलाइन सहित की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है । अहमदाबाद जैसे बड़े शहर में बच्चे लापता होने के मामले में पीसीबी को जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन अभिभावक लापता हुए बच्चों के मामले में शिकायत करने जाए तो पीसीबी अपने क्राइमब्रांच के मीसींग चाइल्ड सेल में भेजते है ।