साल २०१८ में धरती का वैश्विक सतह तापमान १८८० के बाद से अबतक का चौथा सबसे गर्म तापमान रहा । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी हृन्स्न् एवं नैशनल ओशनिक ऐंड ऐटमॉस्फेरिक ऐडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के स्वतंत्र विश्लेषणों में यह पाया गया है । हृन्स्न् के गोडार्ड इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के मुताबिक २०१८ में वैश्विक तापमान १९५१ से १९८० के औसत तापमान से ०.८३ डिग्री सेल्सियस ज्यादा था । नासा ने एक बयान में बताया कि वैश्विक परिदृश्य में २०१८ का तापमान २०१६, २०१७ और २०१५ से कम रहा । पिछले ५ साल, सामूहिक रूप से, आधुनिक रेकॉर्ड के हिसाब से सबसे गर्म साल रहे । एनओएए के आकलन में पाया गया कि २०१८ में धरती का तापमान २०वीं सदी के औसत से ०.७९ डिग्री सेल्सियस ज्यादा था । जीआईएसएस के निदेशक गेविन स्किम्ड ने कहा, लंबे समय से बढ़ रहे वैश्विक तापमान पर तमाम चिंताओं के बावजूद २०१८ एक बार फिर बेहद गर्म साल रहा । स्किम्ड के मुताबिक १८८० के बाद से धरती की सतह का औसत तापमान करीब एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है । उन्होंने बताया कि यह गर्माहट कॉर्बन डाइऑक्साइड के वातावरण में बढ़े हुए उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियों के कारण निकलने वाली अन्य ग्रीनहाउस गैसों के चलते हुई है । इस बढ़ते तापमान के चलते ग्रीनलैंड एवं अंटार्कटिक की बर्फ की विशाल परतें तो पिघल ही रही हैं, साथ ही इससे आग लगने के जोखिम वाले मौसम की अवधि भी खिंच जाती है और कुछ प्रतिकूल मौसमी घटनाएं होती हैं ।