जहां एक तरफ स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण की भाजपा देशभर में सरदार पटेल के लिए भावना बनाने का और अपनी वोट बैंक मजबूत करने का प्रयास कर रही है । वहां पीएम नरेन्द्र मोदी तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के होम ग्राउन्ड में भाजपा एक के बाद एक चुनौतियों से घिरा हुआ है । परप्रांतीयों मुद्दे पर भाजपा द्वारा आरोप भले अल्पेश ठाकोर पर लगा दिया हो लेकिन गुजरात और हिन्दी भाषी राज्यों में रहते उत्तर भारतीयों जितने अल्पेश ठाकोर पर गुस्से है उतना ही नाराजगी भाजपा के लिए भी है यह बात से भाजपा अनजान नहीं है । हालांकि इस घटना कैसे भी शांत हो उसके पहले ही शंकरसिंह के पुत्र महेन्द्र सिंह वाघेला की भाजपा में से विदाई लेकर काफी बड़ा झटका समान भाजपा के लिए है । क्योंकि महेन्द्र सिंह द्वारा भाजपा को उत्तर गुजरात में लोकसभा में सीटें भाजपा हस्तगत करने का व्यू रचना बनाई गई थी । हालांकि उन्होंने अपने निजी कारणों से इस्तीफे दिए जाने का पत्र में उल्लेख था । लेकिन सोमवार को महेन्द्र सिंह जब प्रेस कॉन्फरन्स करने जा रहे है तब बड़े खुलासे होने की संभावना रही है । दूसरी तरफ एक वर्ष पहले पास से रिश्ता तोड़कर भाजपा में शामिल होनेवाली रेश्मा पटेल का सोशल मीडिया पर सीएम को संबोधित करके लिखा गया पत्र यह भाजपा की समस्या को और बढ़ा दिया है । शहीदों के परिवार को नौकरी देने की बात के साथ सोशल मीडिया पर पत्र लिखकर रेश्मा पटेल द्वारा पर अप्रत्यक्ष रूप से बगावत शुरू कर दिया है । रेश्मा पटेल ने भी भाजपा में रहकर एक रास्ते में रहकर २ काम परिस्थिति का निर्माण किया है । जहां पत्र लिखकर उन्होंन समाज में फिर एकबार अपना स्थान प्राप्त कर लिया है । हालांकि दूसरी तरफ पार्टी में रहकर हाईकमान्ड पर दबाव बनाने का प्रयास किया गया है । बुंदेल गाम में कारडिया राजपूतों की बैठक आयोजित हुई । जिसमें चुनाव के समय दानसिंग मोरी के विरूद्ध जमीन मामले में हुए सभी केस वापस लेने के कमिटमेन्ट को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा पूरा नहीं किए जाने से राजपूत समाज में नाराजगी फैल गई है