पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व मानवता दिवस के अवसर पर रविवार को कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) मसौदा में जिन लोगों को शामिल नहीं किया गया है, उनके प्रति मेरी सहानुभूति है । एनआरसी में करीब ४० लाख लोगों के नाम शामिल नहीं है । मानवाधिकारों को संविधान के मूल तत्वों में से एक बताते हुए बनर्जी ने कहा कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं हैं, वे अब अपनी ही देश में शरणार्थी बन गए हैं ।
उन्होंने टि्वटर पर लिखा, आज विश्व मानवता दिवस है । मानवाधिकारों का सम्मान करना हमारे संविधान के मूल तत्वों मे से एक हैं । आज इस अवसर पर मेरे दिल में उन ४० लाख लोगों के प्रति सहानुभूति है, जो असम में एनआरसी के कारण अपने ही देश में शरणार्थी बन गए हैं । ममता बनर्जी ३० जून को एनआरसी के अंतिम मसौदा के जारी होने के बाद से इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाती रही हैं । उन्होंने दावा किया कि जिनके नाम नागरिक पंजी की सूची में शामिल नहीं किए गए उन्हें डिटेंशन कैम्प (हिरासत शिविर) भेजा जा रहा है । तृणमूल अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जो लोग इस देश में बरसों से रह रहे हैं उन पर घुसपैठिये का लेबल लग गया है । उन्होंने सत्तारूढ बीजेपी पर लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर इस मुहिम को चलाने का आरोप लगाया है ।