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चीन ने डोकलाम में गतिविधियां फिर शुरू की

डोकलाम में पिछले साल ७३ दिनों तक भारत के साथ चले गतिरोध के बावजूद चीन अपने मंसूबे कोे पुरा करने की फिराक में लगा हुआ है । अमेरिका के एक टॉप अधिकारी ने बताया है कि चीन ने डोकलाम क्षेत्र में चुुपचाप अपनी गतिविधियां फिर से शुरू कर दी हैं और अभी तक न तो भूटान और न ही भारत ने उसे ऐसा करने से रोका है । अमेरिकी अधिकारी ने विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन के युद्धाभ्यास की तुलना इस हिमालयी क्षेत्र में उसकी गतिविधियों से की है । आपको बता दें कि, चीन पुरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है जबकि वियतनाम, मलयेशिया, फिलिपींस, ब्रुनेई और ताइवान इस दावे का विरोध करते है । दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों क्षेत्रों में चीन का कई देशों से विवाद है । क्षेत्र में चीन ने सैन्य मौैजूदगी बढ़ाने के साथ ही कई कृत्रिम द्धीप का भी निर्माण किया है । दोनों ही इलाके मिनरल्स, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न हैं । यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं । ऐसे में यह हमेशा अमेरिका की नजर में रहता है । विदेश मंत्रालय के प्रमुख उपसहायक एलीस जी वेल्स ने एक संसदीय सुनवाई के दौरान सांसदों से कहा, मेरा आकलन है कि भारत मजबूती से अपने उत्तरी सीमा का बचाव कर रहा है और ऐसे में यह भारत के लिए चिंता का विषय है । वेल्स से भारतीय सीमा के निकट सड़क बनाने को लेकर चीन की आक्रामक गतिविधियों के संबंध में सवाल पूछे गए थे । महिला सांसद एन वेगनर द्वारा पुछे सवाल पर वेल्स ने कहा कि भारत अगर सामरिक तौर पर स्थिर रहता हो तो निश्चिततौर पर हम भारत के साथ अच्छी साझेदारी रख सकते है । भारत और चीन के बीच हिमालयी क्षेत्रों को लेकर लगातार विवाद होते रहे है । हाल ही में चीन और भारत के बीच डोकलाम मुद्दे को लेकर गतिरोध पैदा हो गया था । चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने डोकलाम में सड़क निर्माण का काम शुरू किया था, जिस पर भारतीय सेनाओं ने आपत्ति जताई और इसके बाद ७३ दिनों तक गतिरोध रहा था । महिला सांसद ने कहा, वैसे दोनों देशों में गतिरोध खत्म हो गया था । अब चीन ने डोकलाम में फिर से अपनी गतिविधियां चुपचाप शुरू कर दी हैं लेकिन न तो भारत ने और न ही भूटान ने उसे ऐसा करने से रोका है । हिमालयी क्षेत्र में चीन की गतिविधियां मुझे उसके दक्षिण चीन सागर नीति की याद दिलाती है । अमेरिकी अधिकारी वेल्स ने कहा कि दक्षिण चीन सागर के मद्देनजर ट्रंप प्रशासन के द्वारा हिंद-प्रशांत रणनीति अपनाई गई है । इस पर महिला सांसद वेगनर ने कहा, हम समुद्री सुरक्षा देते हुए क्षेत्र को खुला कैसे रख सकते है और यहां सेना का दखल भी न हो क्योंकि इससे ७० फीसदी वैश्चिक व्यापार खतरे में पड़ सकता है । वेल्स ने कहा, हमें संप्रभु देशों को पुरा अधिकार देते हुए उन्हें यह विकल्प भी देना होगा कि वे जैसा चाहें पार्टनरशिप कर सकते है । एशिया और प्रशांत क्षेत्र पर विदेश मामलों की सब-कमिटी के चेयरमैन, सांसद टेड योहो ने दक्षिण एशिया में चीन के आक्रामक रवैये का मुद्दा उठाया ।
योहो ने कहा कि आपकी क्या राय है कि क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने का सबसे बेहतर तरीका क्या है । वेल्स ने जवाब किया कि अमेरिका को चीन के डॉलर प्रति डॉलर के हिसाब से मुकाबला नहीं करना चाहिए । उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि अमेरिका और यहां की कंपनियां क्षेत्र में ८५० अरब डॉलर से ज्यादा निवेश कर रही है । उन्होंने कहा कि हम समान विचारधारा वाले देशों के साथ बेहतर समन्वय बनाने की कोशिश कर रहे है ।
(शेष पीछे)

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