म्युनिसिपल प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपये के खर्च से सात वर्ष पहले वाडज और दूधेश्वर जोड़नेवाले साबरमती नदी पर दधीची ऋषि रिवरब्रिज को बनाया गया था । पश्चिम अहमदाबाद में ट्राफिक का बोझ बढ़ने पर प्रशासन को साबरमती नदी पर नया रिवरब्रिज का निर्माण करना अनिवार्य हो गया था । हालांकि इस ब्रिज अपने निर्माणकाल से लगातार विवादग्रस्त रहा है । रिवरब्रिज पर लाइटिंग का प्रश्न के अलावा रिवरब्रिज पर दरार आने का मामला भी बीच में उठाया गया था । अब इसके दोनों ओर से फूटपाथ टूट जाने पर नागरिक परेशानी में आ चुके है ।
वाडज और दूधेश्वर को जोड़ता दधीची ऋषि रिवरब्रिज के लिए स्थल पसंदगी का मुद्दा संबंधित समय में भारी विवाद पैदा हो गया था । वाडज और दूधेश्वर इस तरह दोनों तरफ की कई संपत्ति को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव के अलावा प्रशासन के टोप के स्तर का दबाव बढ़ गया था । इस विवाद में से जैसे बाहर आने के बाद प्रशासन ने दधीची ऋषि रिवरब्रिज के निर्माण की धीमी गति का कामकाज तथा इसके कॉन्ट्राक्टर के प्रति प्रशासन की दया दृष्टि की वजह से विवाद में आ गया था । आखिर में गत ११ जून, २०११ को तत्कालीन देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री एलके. अडवानी की अध्यक्षता में आयोजित हुए लोकार्पण समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा दधीची ऋषि रिवरब्रिज का लोकार्पण किया गया था । हालांकि करोड़ों के खर्च से रिवरब्रिज का निर्माण करने के बाद इसके नामकरण का मुद्दा गरमाया था । उस समय में देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजीभाई देसाई की समाधि स्थल ‘अभय घाट’ ब्रिज के पास होने की वजह से इसका नाम ब्रिज के साथ जोड़ने की मांग की गई थी । लेकिन प्रशासन के अन्य विकासलक्षी प्रॉजेक्ट के जैसे इस प्रॉजेक्ट में लापरवाही की गई थी । जिसके कारण बंद स्ट्रीटलाइट, ब्रिज के दरार आदि के मुद्दे समय-समय पर उठाये गये थे ।
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