शहर में गदंगी फैल गई है तथा करोड़ों रुपये के खर्च से डोर टू डम्प की तैयार की गई नई सिस्टम भी फ्लोप साबित हुई है । हेल्थ और सोलिड वेस्ट विभाग के कामकाज या घोटाले को शासक बचाते होने की वजह से इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण २०१८ में अहमदाबाद की स्थिति बदतर हो चुकी है । प्रशासन की लापरवाही का प्रमाण इतने हद तक बढ़ गया है कि ‘स्वच्छता एप’ में संबंधित नागरिक की गदंगीलक्षी शिकायत का आज भी घंटों तक निराकरण नहीं आता है । पहले के दो बार के स्वच्छता सर्वेक्षण में म्युनिसिपल सत्ताधीश द्वारा स्वच्छता एप को डाउनलोड करने के लिए हेल्थ और सोलिड वेस्ट विभाग के स्टाफ सहित के स्टाफ को लगाया गया था । स्मार्ट फोन में सिर्फ स्वच्छता एप डाउनलोड करके जैसे कि अहमदाबाद देश के सबसे स्वच्छ शहर की टोप टेन की सूची में आ जायेगी इस प्रकार का प्रशासन ने भ्रामक प्रचार किया था । हालांकि वर्ष २०१६ और वर्ष २०१७ यह पिछले दोनों वर्ष में अहमदाबाद १६वें नंबर पर आ जाने पर कॉर्पोरेशन की प्रतिष्ठा नुकसान पहुंचा था । शहरीजन अपने स्मार्ट फोन में स्वच्छता एप डाउनलोड करके अपने क्षेत्र की गदंगी, भर जाती कचरापेटी, डस्टबिन की कमी, डोर टू डम्प की समस्या, बदबू आ रहा पब्लिक टोइलेट या पे एंड यूज जैसे प्रश्नों की पेशकश प्रशासन के समक्ष करते है पर इसमें आघातजनक बात है कि केन्द्रीय टीम सर्वेक्षण हेतु शहर की मुलाकात पर होने पर भी संबंधित शिकायत की निराकरण के मामले में सत्ताधीश घंटों तक उदासीनता बरत रहे है मंगलवार को सुबह में ‘स्वच्छता एप’ में कई शिकायत ओपन यानी कि निराकरण किए बिना देखने को मिली थी, जिसमें आंबावाडी रोड की सफाई का प्रश्न, रोड की गदंगी की समस्या आदि शामिल है । शिकायत तो घंटों तक पुरानी होने पर भी निराकरण किए बिना बता रही थी ।