विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के सोमवार को अचानक लापता होने से राजनीतिक गलियारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके पिछले १५ वर्षो से तनावपूर्ण संबंधो पर चर्चा शुरू हो गई । सूत्रों ने बताया कि एक वक्त ऐसा भी था जब पीएम मोदी और तोगड़िया गहरे दोस्त हुआ करते थे और दोनों एक ही स्कूटर से आरएसएस कार्यकर्ताओं से मिलने जाया करते थे । हालांकि वर्ष २००२ में मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनते ही दोनों के संबंधो में कड़़वाहट आ गई । वीएचपी के नेताओं कुछ नेताओं का मानना है कि तोगड़िया के खिलाफ पिछले एक महीने से घटनाक्रम तेजी से बदल रहा था जो राजनीति से प्रेरित और उन्हें नीचा दिखाने की साजिश थी । सूत्रों ने बताया कि आरएसएस और बीजेपी दोनों ही चाहते थे कि वीएचपी तोगड़िया को मुक्त करे ताकि वे संघ के बैनर तले नए कार्यक्रम शुरु कर सकें । तोगड़िया ने इसका कड़ा विरोध किया था जिसके फलस्वरूप उनके खिलाफ पुराने मामलो में कार्रवाई तेज कर दी गई । गुजरात के एक वरिष्ठ वीएचपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर हाल ही अध्यक्ष राधव रेड्डी का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा था । आरएसएस रेड्डी की जगह वी.कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहता था लेकिन तोगड़िया ने इसका कड़ा विरोध किया और रेड्डी को पद पर बनाए रखने पर जोर दिया । उन्होंने बताया, बाद में तोगड़िया ने एक विशाल सभा को संबोधित किया और कहा कि कुछ नेता उन्हें हटाना चाहते हैं । तोगड़िया ने राम मंदिर और गोरक्षा को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला था । यही नहीं उन्होंने कांग्रेस की प्रशंसा भी की ।