फीमेल सेक्स हॉर्मोन एस्ट्रोजन जो युवतियों और महिलाओं को दिल की बीमारी से बचाता है, वहीं हॉर्मोन जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने में भी उनकी मदद करता है । डॉक्टरो की मानें तो इस हॉर्मोन की वजह से एक तरफ जहां महिलाओं में केसर जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है वहीं इसी हॉर्मोन्स की वजह से महिलाओं के कैंसर होने के बाद भी जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है । तथ्य इस बात को साबित भी करते हैं । डब्ल्युएचओ ने ग्लोबोकॉन २०१२ नाम से एक स्टैटिस्टकल टूल विकसित किया है जो इस बात को दिखाता है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन कैंसर की वजह से होने वाली मौत में पुरुष, महिलाओं से आगे है । चंडीगढ़ के पोस्टग्रैजुएट इंस्टिट्युट ओफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रीसर्च के डॉक्टरों का मानना है कि महिलाओं को उनके जीवनकाल में ज्यादा मेडिकल अटेंशन मिलता है जिस वजह से कैंसर जैसी बीमारी का भी शुरुआती चरणोें में ही पता चल जाता है और इस वजह से पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुमानित जीवनकाल बढ़ जाता है । वर्ल्ड कैंसर रिपोर्ट के मुताबिक साल २०१२ में ५ लाख ३७ हजार भारतीय महिलाओं को कैंसर डिटेक्ट हुआ था जबकि कैंसर पीड़ित पुरुषों की संख्या ४ लाख ७७ हजार थी । कैंसर पीड़ित महिलाओं में जहां मृत्यु दर ६० प्रतिशत है वहीं पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौत की दर ७५ प्रतिशत । साल २०१२ में कैसर की वजह से ३ लाख ५६ हजार पुरुषों की मौत हुई थी जबकि कैंसर की वजह से मरने वाली औरतों की संख्या ३ लाख २६ हजार थी । सभी तरह के कैंसर में पहवे नंबर पर हैं ब्रेस्ट कैंसर, दूसरे नंबर पर है गर्भाशय का कैंसर और तीसरे नंबर पर होंठ और मुंह का कैंसर है ।
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