भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद मुंबई बंद कराने की वजह से संविधान निर्माता भीम राव आंबेडकर के नाती और भरिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश आंबेडकर सुर्खियों में आ गए है । मुंबई बंद कराने पर शिवसेना का एकाधिकार समझा जाता था, लेकिन प्रकाश अब नए बंद सम्राट के तौर पर उभरे है । मुंबई बंद के बारे में आबंडेकर ने कहा, यह तो मराठी मानुस की तरफ से स्वाभाविक प्रतिक्रिया मात्र थी । विशेष तौर पर पिछड़े समुदाय के लोग खुद को उपेक्षित समझते थे और उन्हें शहर के तथाकथित विकास में शामिल नहीं किया गया था । बंद का असर भी कुंभरवडा, धारावी और सिऑन में पूरी तरह से दिखा, जहां ऐसे लोग ज्यादा रहते है । शिवसेना का आधार कोंकण एरिया में कुनबिस और भंडारी समुदायों के बीच ही केवल था ।
दलितों की पीड़़ा भी नई नहीं है । प्रकाश ने आरएसएस और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों पर निशाना साधते हुए कहा, हमारा समाज पहले ही जाति के आधार पर बंटा हुआ है । कुछ संगठन अपने लाभ के लिए इसे और भी भड़का रहे हैं । वे राजनीतिक तौर पर अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए यह सब कर रहें हैं और भीमा-कोरेगांव की हिंसा भी इसी की एक झलक है । ये संगठन भारत को पाकिस्तान जैसा ही बना देना चाहते है । संविधान में विश्वास रखने वाले भीमराव आंबेडकर से बिल्कुल अलग हिंसा का रास्ता अपनाने के बारे में प्रकाश ने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अभी तक संहिताबद्ध नहीं है । ऐसे में हर एक तरीका न्यायसंगत है । इसलिए मुझे लगता है कि बंद का यह तरीका खुद को व्यक्त करने का तर्कसंगत माध्यम है ।
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