गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी जीत के लिए बीजेपी हर जनत कर रही है । इस कड़ी में बीजेपी मुस्लिम वोटरों और नेताओं को भुलाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है । इसके तहत बीजेपी ने कई मुस्लिम धर्मगुरुओं को अपने पक्ष में प्रचार करने के लिए मना लिया है । युपी और देश के दुसरे जगहों से सूफी संत और शिया उपदेशक गुजरात में बीजेपी के लिए प्रचार करेंगे । ये उपदेशक बीजेपी के लिए ३५-४० विधानसभा सीटों में जाकर वोट मांगेंगे । इन सीटों पर मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा और निर्णायक है । सुफी और शिया समुदाय का झुकाव बीजेपी की तरफ है । उत्तर प्रदेश में बीजेपी की इतनी बड़ी जीत का कारण यह भी रहा कि यहां शिपा और सुफी समुदाय ने बीजेपी को वोट किया । इनके प्रतिनिधि यहां उत्तर प्रदेश में बीजेपी की और से कराए गए विकास कार्यों का बखान कर सकते है । पार्टी के एक सुत्र ने बताया कि देश के दुसरे हिस्सों से भी मुस्लिम समुदाय के नेता यहां कैपेन के लिए आ सकते है । हालांकि बीजेपी के अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष सूफी महबूब अली चिश्ती ने बताया कि उन्होंने गुजरात चुनाव में कैपेन के लिए अभी तक किसी भी शिया उपदेशक या सूफी को नहीं बुलाया है, न ही उनका कोई प्लान है । अगर कोई यहां आकर प्रचार करने चाहता है तो वह स्वतंत्र है । एक सुफी एनजीओं हिंदु धर्म के नेताओं और सूफी नेताओं की एक रैली १५ नवम्बर को आयोजित करने जा रही है । यह रैली सांप्रदायिक शांति का संदेश देगी । वैसे एनजीओ का दावा है कि यह कार्यक्रम किसी पार्टी के चुनावों के कैंपेन के लिए नहीं है । मुहिब्बन-ए-एहल्बेत फाउंडेशन के अध्यक्ष अनवर शेक ने कहा कि उन लोगों ने देखा है कि राजनीतिक पार्टिया चुनाव के दौरान जाति और धर्म के आधार पर लोगो को बांटने का प्रयास करती है । वे लोग १५ नवम्बर को कई कार्यक्रमो का आयोजन कर रहे है ।
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