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भारत ने पाक. में हुई सुरक्षा पर बैठक का किया बहिष्कार

सरकार ने इस हफ्ते इस्लामाबाद में हुए बहुपक्षीय एशियाई कोस्ट गार्ड कार्यक्रम से खुद को बाहर कर लिया जो स्पष्ट संकेत है कि भारत पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत से दुरी बनाए रखने के रुख पर अब भी कायम है । भारत ने इस हफ्ते अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन की मेजबानी की थी और दोनों ही नेताओं के साथ बातचीत के सरकार के सरकार के अजेंडे में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद शामिल था । इंडियन कोस्ट गार्ड, जो भारत की तटीय सुरक्षा में शामिल है और सामुद्रिक कानुनों को लागू कराने के लिए जिम्मेदार है, को भी २४ से २५ अक्टूबर को हुए कार्यक्रम में शामिल होना था । इस्लामाबाद में हुए इस कार्यक्रम में १३ देशों ने भागीदारी थी । शुरुआत में सरकार ने ऐसे संकेत दिए कि भारत इस्लामाबाद में होने वाले कार्यक्रम मेें शामिल हो सकता है । विदेश मंत्रालय ने इंडियन कोस्ट गार्ड के डीजी समेत शीर्ष अफसरों कि लिए पाकिस्तान का वीजा भी हासिल कर लिया था । लेकिन रक्षा मंत्रालय ने आखिरी वक्त पर फैसला किया कि पाकिस्तान में किसी भी उच्च स्तरीय कार्यक्रम में किसी भारतीय सुरक्षा एजेंसी के शामिल होने के लिए यह मुफीद समय नहीं है । भारत ने पाकिस्तान के साथ दिसंबर २०१५ में समग्र विपक्षीय बातचीत शुरु की थी जो बाद में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले और उसके बाद २०१६ में उड़ी में आर्मी कैप पर हमले के बाद नाकाम हो गई । इस साल की शुरुआत में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद तो दोनों देशो के बीच बातचीत के सारे दरवाजे करीब-करीब बंद हो गए । भारत ने इस साल अप्रैल में पाकिस्तान की मैरीटाइम सिक्यॉरिटी एजेंसी और इंडियन कोस्ट गार्ड के कार्यक्रम को रद्द कर दिया था । भारत ने हाल ही में कश्मीर मसले से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत के लिए वार्ताकार की नियुक्ति की है और सरकार का मानना है कि पाकिस्तान के अंदरुनी हालात इस्लामाबाद के साथ किसी भी तरह के गंभीर और सार्थक बातचीत के अनुकुल नहीं है । पाकिस्तान में अगले साल चुनाव की संभावना है । हाल के दिनों में पड़ोसी देश के साथ बातचीत का सिर्फ एक मामला सामने आया अब सिंधु जल संधि से जुड़े मुद्दों पर दोनों देशो के बीच बातचीत हुई । सरकार ने उस बातचीत को सही ठहराते हुए कहा कि भारत संधि का हिस्सा है इसलिए उससे जुड़ी सभी बैठकों में शामिल होना उसकी जिम्मेदारी है । आधिकारिक सुत्रों ने बताया कि भारत पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की एंगेजमेंट में शामिल नहीं होगा लेकिन मानवीय मुद्दों पर यह बात लागू नहीं है । एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारत नवंबर के शुरुआती हफ्तों में सद्धावना के तौर पर उन पाकिस्तानी कैदियों को छोड़ने वाला है जिन्होंने अपनी सजा पुरी कर ली है । पिछले हफ्ते विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज के ऐलान से भी साफ है कि भारत मानवीय मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ एंगेजमेंट से दुर नहीं रहेगा । स्वराज ने कहा था कि भारत उपयुक्त मामलों में पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा उपलब्ध कराएगा ।  (शेष पीछे)

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