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इस साल देश में अक्टूबर महीने तक ७३ बाधों की मौत

इस साल देश के अलग-अलग हिस्सो में हुई बाध की मौतो के चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं । राष्ट्रीय बाध संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार साल २०१७ में अक्टूबर महीने तक ७३ बाधों की मौत हुई है । इनमें सबसे ज्यादा बाध मध्य प्रदेश में मृत पाये गए जहां १५ अक्टूबर तक १८ बाधों की मौत दर्ज हुई । इसके बाद दुसरे नंबर पर कर्नाटक हैं जहां १४ बाधों की मौत हुई है । मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र और युपी में भी बाधो की मौत का मामला सामने आया है । इसमें वृद्धावस्था या बीमारी, विद्युत करंट, आपसी संगर्ष, रेल रोड एक्सीडेंट, और जहर देकर मारने के कारण शामिल हैं । राष्ट्रीय बाध सरक्षण प्राधिकरण के अनुसार, इससे पहले पिछले साल २०१६ में भारत में सबसे ज्यादा १०० बाधो की मौत हुई थी । वहीं साल २००९ से लेकर २०१५ तक हर साल औसत रुप से ४२ से ७२ बाध की मौत हुई है । बाधों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े सिर्फ इस साल ही नहीं बल्कि पिछले पांच साल से खराब हैं । रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल में मध्य प्रदेश में ८९ बाधों की मौत हो चुकी है जिसमें ११ शावक थे । वहीं इस साल १८ और बाधो की मौत यहां हुई है । इतनी बडी संख्या में हर साल बाधों का मरना सरकार वन्यजीव अधिकारियों के वाकई चिंताजनक है । यह आंकड़े तब सामने है जब भारतीय ओस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा अनुठे विश्लेषण में सामने आया था कि मंगलयान प्रोजेक्ट से ज्यादा कीमती दो बाधों की जान है । इसमें कहा गया था कि दो बाधों को बचाने व उनकी देखभाल से होने वाला लाभ करीब ५२० करोड़ रुपये है जबकि इसरो की मंगल ग्रह पर मंगलयान भेजने की तैयारी की कुल लागत लगभग ४५० करोडड़ रुपये है । अंतिम अनुमान केे अनुसार, भारत में वयस्क बाधों की संख्या २२२६ है जिसका मतलब है कि कुल लाभ ५.७ लाख करोड़ रुपये होगा । दरअसल वैज्ञानिकों ने छह टाइगर रिजर्व का अध्ययन किया था । इस दौरान उन्होंने अनुमान लगाया कि उनका संरक्षण करना २३० अरब डालर की राशि को सुरक्षित रखने के समान है । इस राशि को वैज्ञानिकों ने इन टाइगर रिजर्व के लिए स्टोक बेनिफिट्‌स कहा है ।

 

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