रोहिंग्या शरणार्थियों पर सरकार के रुख पर सवाल खड़े करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ भेदभाव हो रहा हैं । महात्मा गांधी के देश में असहिष्णुता कहां तक सही हैं । तरुण गोगोई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और तीन बार असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं । उनका कहना है कि धर्म के आधार पर शरणार्थियों के साथ भेदभाव हो रहा हैं और यह वह लोग हैं जिन पर अत्याचार हो रहा हैं । गोगोई ने कहा कि उनके देश में उनके मानवाधिकार का हनन हो रहा है तो वह डर के वहां से भाग कर भारत आ रहे हैं । जो रेफ्यूजी आएगा तो वह अवैध ही होगा, लेकिन वह जान बूझकर यहां नहीं आ रहे हैं । असम के पूर्व सीएम तरुण गोगोई का कहना हैं कि यह महात्मा गांधी और अशोक का देश में है, हमें उदारता दिखानी होगी । उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया हैं उसमें सरकार का रुख नाइंसाफी भरा हैं । भारत सरकार २०१५ में सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट लाई जिसमें भारत के आसपास के देशों में जो भी अल्पसंख्यक शरणार्थी आएगा उसको हम नागरिकता देंगे । उन्होने कहा किा भारत सरकार ध्रुवीकरण कर रही हैं और रोहिंग्या मसले को लेकर म्यांमार भी तो पड़ोसी देश है अगर वहां से शरणार्थी आ रहे हैं तो उनके साथ भेदभाव क्यों किया जाए, क्या इसलिए क्योंकि वो मुसलमान हैं । रोहिंग्या मुस्लिमों का पक्ष लेते हुए गोगोई ने कहा कि हम तो यह नहीं कह रहे कि रोहिग्या को स्थाई नागरिकता देनी चाहिए । लेकिन जब तक उनके देश में उनके लिए वातावरण अनुकुल नहीं हो, सुरक्षित ना हो, तब तक रोहिंग्या को आश्रय दी जा सकती हैं । गोगोई ने कहा कि भारत सरकार को रोहिंग्या को वापस भेजने के लिए म्यांमार की सरकार से बात करनी चाहिए ।