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जीएसटीः एक महीने होने पर भी पटरी पर नहीं व्यापार

जीएसटी लागू होने के एक महीने बाद बाजारों में पहले जैसी अफरातफरी तो नहीं, लेकिन व्यापार अब भी पटरी पर नहीं लौटा हैं । खासकर फेस्टिव सीजन की सप्लाई के मद्देनजर हालात खराब बताए जा रहे हैं । हालांकि अधिकांश रजिस्टर्ड डीलर जीएसटी में माइग्रेट कर चुके हैं । लेकिन रेट, एचएसएन कोड, रिवर्स चार्ज और बिलिंग को लेकर कन्फ्यूजन कायम हैं । ट्रांसपोर्टेशन में सुधार हुआ हैं । लेकिन बुकिंग अब भी मई जून के मुकाबले ३०-४० प्रतिशत कम बताई जा रही हैं । कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के जनरल सेक्रटरी प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि मार्केट अभी स्थिर नहीं हो पाया है और व्यापारी अब भी रेट, कोड, बिलिंग पैटर्न को समझने की कोशिश कर रहे हैं । कुछ अच्छी बाते भी सामने आई हैं । अब मैन्युफैक्चरिंग,सर्विसेज और ट्रेडिंग जैसे सभी वर्टिकल्स के लिए एक केवल प्लेइंग फील्ड मिला है, जिसके नतीजे अब दिखेंगे । चेंबर ओफ ट्रेड इंडस्ट्री के कोऑर्डिनेटर बृजेश गोयल ने बताया कि मैंने वॉस्ड सिटी के ज्यादातर बाजारों का सर्वे किया हैं और पाया है कि एक महीने बाद हालात बहुत नहीं बदले हैं । सेल्स पिछली रिजीम के मुकाबले ५० प्रतिशत से भी कम हो गई हैं । और त्योहारी सीजन की सप्लाई को लेकर चींता बढ़ रही हैं । उन्होने बताया कि ऑटो कंपनेंट जैसे व्यापार में २८ प्रतिशत रेट से कई व्यापारी दूसरे व्यापार में शिफ्ट होने का मन बना रहे हैं। नेहरु प्लेस में ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स के प्रेसिडेंट मोहिंदर अग्रवाल ने बताया कि सेल्स जुलाई के पहले हफ्ते के बुरे दौर से उबरने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन एक ही व्यापार में अलग अलग टैक्स दरों ने नई मुश्किल खड़ी कर दी हैं । सभी कंपनियों ने भी प्रोडक्ट की कीमतें १०-१५ प्रतिशत बढ़ा दी हैं, जिससे ग्राहक भी ठिठक गए हैं ।

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