खुदरा मुद्रास्फीति के रेकॉर्ड निचले स्तर पर आने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासीक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरो में ०.२५ प्रतिशत की कटौती की उम्मीद हैं । विशेषज्ञों और बैकरों ने यह राय जताई हैं । बैकरों को उम्मीद हैं कि मूल्य के मोर्चे पर राहत के चलते केन्द्रीय बैंक अपने मौद्रिक रुख में बदलाव कर सकता हैं और यहां तक कि आक्रामक तरीके से ब्याज दर में कटौती कर सकता हैं । केन्द्रीय बैंक ने लगातार चार बार रिपो रेेट को ६.२५ प्रतिशत पर कायम रखा हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक आर पी मराठे ने कहा कि मुद्रास्फीति नीचे आई हैं और ओद्योगिक वृद्धि भी कमजोर बनी हुई हैं । ऐसे में ब्याज दरों में कम से कम चौथाई प्रतिशत कटौती की गुंजाइश बनती हैं ।दरों में कटौती से ऋण की वृद्धि भी बढ़ेगी । जो पिछली कई तिमाहियों से कमजोर बनी हुई हैं। इसी तरह की राय जताते हुए इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक किशोर खारत ने कहा कि ऐसी उम्मीद हैं कि केन्द्रीय बैंक कम से कम ०.२५ प्रतिशत की कटौती करेगा । खरात ने कहा कि केन्द्रीय बैंक नकद आरक्षित अनुपात सीआरआर या सांविधिक तरलता अनुपात एसएलआर से छेड़छाड़ नहीं करेगा क्योंकि बाजार मंे तरलता की स्थिति ठीक ठाक हैं । रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक समिति मौद्रिक नीति के परिणामों की दो अगस्त को दोपहर में घोषणा करेगी । एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी ने कहा कि ब्याज दरो में कटौती का मामला हमेशा रहता हैं, लेकिन समिति में कई सदस्य हैं जो इसकी समीक्षा करेंगे । मुद्रास्फीति नीचे आई हैं । हम सभी जानते हैं कि आधार प्रभाव में बदलाव की वजह से यह कुछ बढ़ेगी ।
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