रेलवे के खाने को लेकर सीएजी की रिपोर्ट के बाद रेल मंत्रालय हरकत में आ गया है । मंत्रालय की तरफ से रविार को बताया गया कि अपनी नई पॉलिसी में रेलवे ने खाने की क्वॉलिटी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है । मंत्रालय का कहना है कि इसका मकसद लोगों को अच्छा खाना मुहैया कराना है । बीते दिनों रेलवे के खाने को लेकर सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि खाने का सामान बनाने के लिए गंदे पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है, पेंट्री में चूहे और तिलचट्टे घूम रहे थे, खाने का सामान अन्य सामान के साथ खुले में पड़ा था । सीएजी ने तो यहां तक कहा था, रेलवे स्टेशनों पर जो खाने-पीने की चीजें परोसी जा रही हैं, वो इंसानी इस्तेमाल के लायक ही नहीं है ।
रेलमंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि मंत्रालय की तरफ से कैटरिंग सर्विस को और बेहतर बनाने के लिए कई तरह की शुरूआत की गई है । मंत्रालय का कहना है कि खाना बनाने और खाना वितरण करने की व्यवस्था को अलग किया जा रहा है । २७ फरवरी को जारी की गई नई कैटरिंग पॉलिसी में यह भी तय किया गया है कि किचन और खाने की क्वॉलिटी से संबंधित मामलों के लिए आईआरसीटीसी जिम्मेदार है । इसके अलावा यह भी तय किया गया है कि ट्रेनों में जाने वाला खाना आईआरसीटीसी के किचन के अलावा कही और से नहीं जाएगा । मंत्रालय ने कहा, सभी मोबाइल यूनिट्स पर आईआरसीटीसी ही कैटरिंग सर्विस करेगा । सभी ट्रेनों के लिए खाना सिर्फ तय किए गए किचन से लिया जाएगा । इसकी पूरी व्यवस्था आईआरसीटीसी की तरफ से की जाएगी । इसके अलावा ऑन डिमांड ऑर्डर के लिए ३५७ स्टेशनों पर ई-कैटरिंग की व्यवस्था की गई है । इसके अलावा रेलवे स्टेशनों पर चलने वाला फूड प्लाजा, फूड कोर्ट और फास्टफूड यूनिट्स का काम भी आईआरसीटीसी के तहत ही आएगा । इस कैटरिंग पॉलिसी में मंत्रालय की तरफ से खाने की क्वॉलिटी को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात कही गई है । मंत्रालय ने कहा कि इस दिशा में कार्रवाई करते हुए पिछले ६ महीने में ७ कॉन्ट्रैक्ट कैंसल किए गए, १६ कॉन्ट्रैक्टर्स को ब्लैकलिस्टेड किया गया, २१ अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई और साढ़े चार करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया ।
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