खेलों के महाकुंभ को भारत में लाने के प्रयास शुरु हो चुके हैं। अगर यह महत्वाकांक्षी कदम मजबूती से आगे बढ़ता है और यह राजनीतिक बाधाओं को पार कर लेता है, तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एक स्वाभाविक पसंद के तौर पर उभरेगा । खेल मंत्रालय ३५वें ओलिंपिक खेलों के आयोजन करवाने और इससे जुड़े अन्य सेक्टर्स पर पड़ने वाले असर का मुआयना करवाने की योजना बना रहा हैं । एक बार यदि खेल मंत्रालय ओलिपिंक का आयोजन करवाने की संभावना को लेकर आश्वस्त हो जाता हैं, तो वह सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ने को कह सकता हैं । भारतीय ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष एन रामचंद्रन ने पत्रकारों को बताया कि आईओए ने सरकार से २०२३ ओलिंपिक और २०३० एशियन गेम्स के आयोजन की बोली लगाने की अनुमति मांगी थी । खेल मंत्रालय के कदम से लगा कि वह सुझाव के खिलाफ नहीं है लेकिन फिर भी सावधानी से आगे बढ़ना चाहता हैं । मंत्रालय इसकी लागत के बारे में पूरा विचार करना चाहता हैं । खेल मंत्रालय इस बात से भी वाकिफ है कि ओलिंपिक का आयोजन आमतौर पर घरेलू देशों के लिए फायदे का सौदा साबित नहीं होते हैं । ओलिंपिक का आयोजन एक महत्वकांक्षी परियोजना हैं । यह अभी तक कई अधिक संसाधन संपन्न बेहतर रुप से तैयार और ज्यादा स्पोट्र्स कल्चर वाले देशों को नहीं मिल पाया । इससे सरकार को योजना बनाने के लिए कुछ और वक्त मिल जाता हैं । इंटरनैशनल ओलिंपिक कमिटी २०३२ के मेजबान के नाम का ऐलान २०२५ में करेगी । वैसे नीलामी और नामांकन की प्रक्रिया ९ साल पहले शुरु हो जाती हैं । इससे सरकारों को योजना बनाने में कुछ और साल मिल जाते हैं ।