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सरकारी बैंकों में और पूंजी डालने की घोषणा नहीं करेगी सरकार

सरकार आगामी आम बजट में संभवत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में और पूंजी डालने की घोषणा नहीं करेगी। सूत्रों का कहना है कि इसके बजाय सरकार बैंकों को डूबे कर्ज की वसूली तेज करने और बाजार से कोष जुटाने को प्रोत्साहित करेगी। सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा 2020-21 में बैंक अपने गैर प्रमुख कारोबार की बिक्री कर भी धन जुटा सकते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी2.0 सरकार का आम बजट एक फरवरी को पेश कर सकती हैं। सूत्रों ने कहा कि इस कैलेंडर साल में बैंकों के पास राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और गैर एनसीएलटी दोनों तरह से निपटान के जरिये डूबा कर्ज वसूल कर सकते हैं। इसेक अलावा उनके पास बाजार से भी पूंजी जुटाने की गुंजाइश रहेगी।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रावधान कवरेज अनुपात इस समय 7 साल के उच्चस्तर 76.6 प्रतिशत पर है। सूत्रों ने बताया कि कुछ गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के मामले में बैंकों ने 100 प्रतिशत तक का प्रावधान किया है। सूत्रों ने कहा कि कुछ बैंकों का शेयर मूल्य मजबूत हो रहा है। ऐसे में उनके पास सरकारी हिस्सेदारी बेचने का विकल्प है। देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी अनुषंगियों एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लि. और यूटीआई म्यूचुअल फंड में अपनी हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी तरह कुछ अन्य सरकारी बैंक भी इसी तरह की प्रक्रिया के जरिए पूंजी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।

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