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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : बीजेपी और शिवसेना के साथ एनसीपी-कांग्रेस के लिए परीक्षा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर जहां बीजेपी खेमे में उत्साह का माहौल है, वहीं कांग्रेस-एनसीपी खेमे में निराशा छाई हुई है । विरोधी दलों के ज्यादातर दिग्गज नेता या तो कमल के साथ हो लिए हैं, या शिवसेना के बंधन में बंध गए हैं । एनसीपी प्रमुख शरद पवार राज्य में घूम रहे हैं, लेकिन खेमों में बटी कांग्रेस अभी भी भ्रम की स्थित में है । इस बार का चुनाव कांग्रेस और एनसीपी के लिए राज्य में अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई है । तीन तलाक और जम्मू-कश्मीर से धारा ३७० हटाने के बाद देश में यह पहला बड़ा चुनाव होने जा रहा हैं । इन चुनाव के माध्यम से जनता का सही मूड भांपने का अवसर मिलेगा, क्योंकि अबतक भाजपा सरकार दावा करती रही है कि दोनों निर्णयों से जनता में खुशी का माहौल है । अगर महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें बढ़ती हैं, तो निश्चित ही भाजपा का दावा सही साबित होना, वर्ना उनके दावों की पोल खुल जाएगी । लोकसभा चुनावों में मिली हार से कांग्रेस और राकांपा उबरी ही नहीं थी कि उनकी पार्टी में ही विरोधी इस कदर शुरू हुआ कि मजबूत से मजबूत नेता भी पार्टी छोड़ गए । दोनों पार्टियों में पूरी तरह से अविश्वास का माहौल है । हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि कब कौन पार्टी छोड़ दे, इसका भरोसा नहीं है । ऐसे में दोनों दलों को अब अपने अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौती होगी । महाराष्ट्र की राजनीतिक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बेहद मजबूत होकर उभरे हैं । पिछले पांच साल में उन्होंने अपनी पार्टी के दिग्गजों को जहां चित कर दिया, वहीं विरोधी दल कांग्रेस-राकांपा को भी धूल चटा दी । विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण विखे पाटील जैसे दिग्गज नेता को सरकार में शामिल कर लिया । शिवसेना के लिए भी एक लक्ष्मण रेखा खींच दी है । आलम यह है कि मुख्यमंत्री जिसे भाजपा में शामिल नहीं कर सके, उसे शिवसेना में एडजस्ट करा दिया । मुख्यमंत्री ने औरंगाबाद से कांग्रेस के दिग्गज विधायक अब्दुल सत्तार के साथ बैठक की, लेकिन उन्हें शिवसेना में भर्ती करा दिया । अब मुख्यमंत्री के लिए चुनौती है कि वे भाजपा के लिए पिछले विधानसभा चुनाव से ज्यादा सीटें जीतकर लाएं । पिछले चुनाव में भाजपा ने १२२ सीटों जीती थी । वर्ष २०१४ के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा का गठबंधन टूट गया था । सभी दलों ने अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ा था । भाजपा ने २६० सीटों पर चुनाव लड़ा था और १२२ सीटों पर जीत हासिल की थी । भाजपा ने को २७.८१ प्रतिशत वोट हासिल मिला था । वहीं शिवसेना ने २८२ सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे १९.३५ प्रतिशत वोट के साथ ६३ सीटें जीती । कांग्रेस ने राज्य की एक सीट छोड़कर २८७ सीटों पर चुनाव लड़ा और ४२ सीटों पर जीती । कांर्ग्रेस को १७.९५ प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं राकांपा ने २७८ सीटों पर उम्मीदवार उतारा और ४१ सीटों पर जीती । राकांपा को १७.२४ प्रतिशत वोट मिले थे ।

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