कोयला ब्लॉक धोटाला से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास यह मानने की कोई वजह नहीं थी कि तत्कालीन कोयला सचिव एच सी गुप्ता ने उनके सामने एक ऐसी कंपनी को मध्यप्रदेश में कोयला ब्लोक आवंटित करने की सिफारिश की थी जो उस समय आवंटन के नियमों को पूरा नहीं करती थी । विशेष जज भरत पराशर ने गुप्ता को मध्यप्रदेश में थेसगोरा बी रद्रपुरी कोयला ब्लोक कमल स्पोन्ज स्टील एवं पावर लि. को आवंटित करने में अनियमितताओं का दोषी ठहराया हैं । जज ने कहा कि तत्कालीन कोयला सचिव ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने गलत तथ्य रखे । उश समय सिंह के पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था । उन्हें जांच समिति की सिफारिशों के आधार पर ही कदम उठाना था । गुप्ता इस समिति के चेयरमैन थे । अदालत ने कहा कि यह मानने की कोई वजह नहीं है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री यह समझते कि दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया हैं । अदालत ने कहा कि सिंह ने जांच समिति की सिफारिशों पर इस मान्यता के आधार पर विचार किया कि कोयला मंत्रालय में आवेदनों की उनकी पात्रता के हिसाब से जांच की गई होगी और समिति ने दिशानिर्देशों का पूरी तरह अनुपालन किया होगा । अदालत ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री को कोयला मंत्री के रुप में जांच समिति की सिफारिशों की फाइल भेजते समय किसी भी अधिकारी ने कही पर यह उल्लेख नहीं किया कि आवेदनों की उनकी पात्रता और पूर्णता के लिए जांच नहीं की गई हैं । गुप्ता ३१ दिसम्बर, २००५ से नवम्बर, २००८ तक कोयला सचिव रहे थे ।
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