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मराठा आरक्षण के बाद उठी मुस्लिम आरक्षण की मांग

बॉम्बे हाई कोर्ट ने जब से मराठा आरक्षण पर निर्णय लिया है, तब से मुस्लिम आरक्षण की मांग जोर पकड़ रही है। शुक्रवार की देर रात विधानसभा में कांग्रेस के विधायक आसिफ शेख ने प्राइवेट मेंबर बिल में सदन में पेश किया। उन्होंने अपने बिल में कहा है कि 23 अप्रैल 1942 को तत्कालीन बांबे सरकार ने 228 समाज को पिछड़ा घोषित किया गया था, जिसमें 155 वें क्रमांक पर मुस्लिम का उल्लेख है। 
केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में सच्चर समिति ने भी मुस्लिम समाज को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने की सिफारिश की है। साथ ही महाराष्ट्र सरकार ने भी 6 मई 2008 में डॉ. मोहम्मद उर रहमान की अध्यक्षता में गठित समिति ने भी राज्य सरकार की सेवाओं और शिक्षा संस्थानों में मुस्लिमों को 8 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी। 
मुस्लिमों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें सरकारी, अर्ध सरकारी सेवाओं और शिक्षा संस्थानों में 5 फीसदी आरक्षण दिया जाए। इस मांग को राज्य सरकार पहले ही नकार चुकी है। सरकार का कहना है कि धर्म या जाति पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वैसे भी मुस्लिम समाज को ओबीसी और आर्थिक रूप से गरीब आरक्षण व्यवस्था में आरक्षण मिल ही रहा है इसलिए अगल से आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

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