सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की तीन गैर-जीवन बीमा कंपनियों में 4,000 करोड़ रुपए की पूंजी डालने की आगामी बजट में घोषणा कर सकती है। इन कंपनियों का पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि पूंजी डालने का यह काम इन कंपनियों की वित्तीय सेहत में सुधार लाने के लिए किया जा रहा है। इससे इन तीनों कंपनियों के प्रस्तावित विलय पर अमल करने में सुविधा होगी। इस बारे में घोषणा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट में की जा सकती है। यह बजट पांच जुलाई को पेश किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि वित्तीय सेवाओं का विभाग इन तीन गैर-जीवन बीमा कंपनियों में पूंजी डालने के लिए 4,000 करोड़ रुपए की मांग करेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की इन तीन कंपनियों में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, आरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी- शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बजट में जो भी पूंजी इन कंपनियों के लिए तय की जाएगी उसके आधार पर बाद में राशि में तीनों के बीच बांटा जाएगा। गैर-जीवन बीमा क्षेत्र यानी साधारण बीमा क्षेत्र में काम करने वाले ज्यादातर कंपनियों का मुनाफा दबाव में चल रहा है। बढ़ते दावों और जोखिम गारंटी में घाटे के चलते इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति दबाव में चल रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियों में से दो कंपनियां अपनी रिण शोधन क्षमता अनुपात को बनाए रखने के लिए कोशिश में लगी हैं। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के रिण शोधन क्षमता अनुपात नियम के मुताबिक यह 1.5 होना चाहिए। नेशनल इंश्योरेंस का ऋण शोधन क्षमता अनुपात 1.5 है लेकिन यूनाइटेड इंडिया का इसके मुकाबले 1.21 पर कुछ कम है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2018- 19 के बजट में नेशनल इश्योरेंस कंपनी, आरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के विलय का प्रस्ताव किया था।
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