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28% GST स्लैब से हटाए जा सकते हैं कई आइटम

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली जीएसटी काउंसिल बैठक में कई चीजें सस्ती हो सकती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मांग में आई सुस्ती से निपटने के लिए गूड्स एंड सर्विसेज टैक्स के स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। 28 प्रतिशत वाले टैक्स स्लैब से कई चीजों को हटाया जा सकता है। कुछ राज्यों ने टैक्स रेट घटाने का समर्थन किया है। उनकी चिंता यह है कि सुस्ती का दायरा बढ़ सकता है। उन्होंने अपनी राय केंद्र सरकार को बता दी है। 
मांग में आई कमी के कारण राज्यों के राजस्व पर असर पड़ रहा है। ऐसे में राजस्व में बढ़ोतरी और मांग बनाए रखने के लिए कई राज्यों ने केंद्र सरकार से टैक्स रेट घटाने की सिफारिश की है। आम बजट पेश होने से पहले 20 जून को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने जा रही है। नई मोदी सरकार में वित्त मंत्रालय संभाल रहीं निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यह जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक होगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में टैक्स रेट घटाने समेत उच्च दर वाले स्लैब से कई सामानों को बाहर करने पर चर्चा हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि यदि बैठक में इस पर सहमति बनती है तो बजट से पहले ही इसकी घोषणा हो सकती है। इसके अलावा जीएसटी काउंसिल की बैठक में इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग और एंटी प्रॉफिटियरिंग फ्रेमवर्क के विस्तार पर भी चर्चा हो सकती है। 
इस समय देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर को 28 फीसदी के उच्च दर वाले टैक्स स्लैब में रखा गया है। इसके अलावा गाड़ियों पर आकार और सेगमेंट के मुताबिक कंपनसेशन सेस भी लगता है। जानकारों का मानना है कि हाई टैक्स रेट के कारण इस साल गाड़ियों की बिक्री में कमी दर्ज की गई है। यही कारण है कि अप्रैल में पैसेंजर व्हीकर सेल्स में 17 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। यही नहीं मई माह में देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की सेल्स में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 22 फीसदी की गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2018-19 में इकोनॉमिक ग्रोथ पांच साल के निम्नतम स्तर 6.8 फीसदी पर आ गई है। जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान यह 5.8 फीसदी रही है। इकोनॉमिक ग्रोथ में आई कमी से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी अनजान नहीं है। यही कारण है कि आरबीआई ने लगातार तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कटौती की घोषणा की है। इस समय रेपो रेट नौ साल के निम्नतम स्तर पर आ गया है। आरबीआई ने अभी इसमें और कटौती के संकेत दिए हैं।

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