भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और यूरोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया (यूएसई) के सहयोग से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अक्टूबर में राष्ट्रीय अंग दान जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन करेगा । यहां मंत्रालय जीवन बचाने के रास्ते में खड़ी बाधाओं और मिथ्या को तोड़ने के लिए १० आध्यात्मिक धर्म गुरुओं को एक मंच के तहत लाएगा । जहां बड़े पैमाने पर उन्हें अपने शरीरके अंग दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा । योग गुरु और उद्यमी बाबा रामदेव, रहस्यवादी सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी, ईसाई व सिख धर्म के प्रतिनिधियों सहित अन्य लोग इसमें भाग लेंगे । बता दें कि भारत में अंगों की मांग और आपूर्ति में काफी अंतर हैं । दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डो अनुप कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय अंग दान के लिए जागरुकता कार्यक्रमो पर लगातार काम कर रहा हैं ।यह पहली बार है कि हम धर्म गुरुओं के जरिए अंगों को दान करने के लिए संदेश दे रहे हैं । साथ ही उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस राष्ट्रीय अंग दान जागरुकता कार्यक्रम का चेहरा होने की संभावना हैं । यूएसआई के राष्ट्रीय संयोजक डॉ डॉ कुमार ने कहा कि लोगों में अंग दान को लेकर गलत धारणाएं हैं। लोग अब भी सोचते हैं कि यदि वे यह अंग दान करेंगे, तो अगले जन्म में उस अंग के बिना पैदा होंगे । लोग मृत्यु के बाद भी शरीर की विकृति से डरते हैं । उन्होने कहा कि लोगों के मन को साफ करने की आवश्यकता हैं और यह उनके धार्मिक गुरुओं को शामिल करके समुदाय स्तर पर किया जाना चाहिए । स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एक ब्रेन डेड व्यक्ति कम से कम सात लोगो की जान बचा सकता हैं । किसी भी बडे शहर में एक समय में १० ब्रेन डेड व्यक्ति आईसीयू में भर्ती किए जाते हैं ।