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धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतो को जीवित रखना बड़ी चुनौतीः उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान देश के माहौल पर चिंता जताई . नेशनल लॉ स्कुल ओफ इंडिया यूनिवर्सिटी के २५वें दीक्षांत समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों ने दोहराना जाना और इसे पुनर्जीवित करना सबसे बड़ी चुनौती हैं । उन्होंने कहा कि समानता को धरातल पर वास्तविक अर्थो में उतारने पर जोर देना और अपने सामूहिक आयामों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता का फिर से संचार करना भी मुख्य चुनौतियों में हैं । भारतीय समाज की धरातलीय सच्चाई में सहिष्णुता झलकनी चाहिए और इसे स्वीकार्य बनाया जाना चाहिए । उपराष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि सहिष्णुता समावेशी और बहुलवादी समाज की स्थापना का अकेला मजबूत आधार नहीं बन सकता । इसके साथ समझ और स्वीकार्यता को भी शामिल करना होगा । स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि हमें न सिर्फ दूसरे धर्मो के प्रति सहिष्णु होना चाहिए । बल्कि उन्हें सकारात्मकता के साथ अंगीकार करना चाहिए । क्योंकि सभी धर्मो का आधार सच्चाई ही हैं । अंसारी ने कहा कि सांस्कृतिक प्रतिबद्धताओं को अपने मूल में जगह देने वाले राष्ट्रवाद के स्वरुप को अमूमन सबसे रुढ़ीवादी एवं अनुदारवादी राष्ट्रवाद माना जाता हैं । जो असहिष्णुता और दंभी देशभक्ति को बढ़ावा देता हैं । आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल १०अगस्त को खत्म हो रहा हैं । ११ अगस्त को नए उपराष्ट्रपति के रुप में वेंकैया नायडू शपथ लेंगे । वेंकैया नायडू ने उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी गोपाल कृष्ण गांधी को बड़े अंतर से हराया था ।

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