डोकलाम विवाद के चलते चीन, भारत पर दबाव बनाने की कोशिशों में लगातार जुटा हुआ हैं । समुद्री मोर्चे पर भी चीन आए दिन भारत के लिए चुनौतियां पेश कर रहा हैं । ऐसे में अपनी समुद्री ताकत को मजबूत करने में जुटी भारतीय नौसेना कई सालों की देरी के बाद आखिरकार अपने बेड़े में आईएनएस कलवरी को शामिल करने की तैयारी कर रही हैं । यह स्कॉर्पीन पनडुब्बी दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में शुमार हैं । जिसकी खासियत गुप्त तरीके से वार करने की हैं । दुश्मन को इसके आने की आहट तक नहीं मिल पाती । इसकी इन्हीं खुबियों के चलते इसका नाम समुद्र में रहने वाली एक शार्क मछली कलवरी पर रखा गया हैं । समुद्र के अंदर लड़ने की अपनी कमजोर होती क्षमताओं को फिर से मजबूत बनाने में जुटे भारत के लिए नौसेना में शामिल होने जा रही यह स्कॉर्पीन पनडुब्बी मील का पत्थर साबित होगी । भारत ने इस तरह की छह पनडुब्बियों का ओर्डर दिया है और आईएनएस कलवरी उनमें से पहली हैं । भारत की १५ पनडुब्बियों के मुकाबले चीन के समुद्री बेड़े में ६० पनडुब्बियां शामिल हैं । हिंद महासागर में चीन की इसी बढ़ती ताकत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती के तौर पर लिया जा रहा हैं । भारतीय नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि मई के महीने में चीन की युआन क्लास की जो डीजल पनडुब्बी हिंद महासागर में दाखिल हुई थी । वह अब भी वहां मौजूद हैं । जुलाई में हिंद महासागर के पश्चिमी छोर पर जिबूती में अपना पहला आधिकारिक नेवी बेस बनाने वाले चीन ने हाल ही में पाकिस्तान और बांग्लादेश को भी पनडुब्बियां बेची हैं । साथ ही पिछले साल चीन की एक न्यूक्लियर पनडुब्बी का पाकिस्तान के कराची जाना भी यह साबित करता है कि चीन से समुद्र में मिलने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को अभी और तैयारी करने की जरुरत हैं ।
પાછલી પોસ્ટ