अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अमेरिका के साथ सैन्य रिश्तों व्यापाक स्तर पर बढ़ाना चाहते थे । वह अपने पूर्ववर्ती नेताओं के समय से चली आ रही भारतीय विदेश नीति को काफी हद तक बदलना चाहते थे ताकि कूटनीतिक स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत हो सके । प्रधानमंत्री पद संभालने के शुरुआती कुछ महीनों में अपनी सोवियत संघ, मिडिल ईस्ट, फ्रांस और अमेरिका आदि देशों की यात्रा से उन्होंने यह साफ संदेश दिया कि वह कई दशकों से चली आ रही विदेश नीति में आवश्यक बदलाव करना चाहते थे । ११ पेज की यह गोयनीय रिपोर्ट सीआईए ने दिसम्बर २०१६ में जारी की थी । रिपोर्ट के अनुसार राजीव गांधी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के साथ आर्थिक और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ाना चाहते थे । रिपोर्ट में यह बताया गया है कि राजीव किस तरह से अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका और पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर करना चाहते थे । सीआईए के इस दस्तावेज के अनुसार राजीव गांधी अपनी विदेश यात्राओं के कारण इंटरनैशनल मीडिया के साथ दिन प्रतिदिन सहज होते जा रहे थे । इसका एक उदाहरण देते हुए इस रिपोट में बताया गया कि किस तरह राजीव पहली बार लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को तैयार हो गए थे । सीआईए का यह भी मानना था कि वह अपनी मां इंदिरा की विदेश नीति से हटकर रुस के जगह उनकी दिलचस्पी अमेरिकी के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में थी । उस वक्त के रक्षामंत्री नरसिम्हा राव को अमेरिका के दौरे पर साथ ले जाना भी यह संकेत दे रहा था कि वह अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंधों को आगे ले जाना चाह रहे थे ।