पवित्र यात्राधाम अंबाजी में वर्षों से किराये से दुकान चलाते दुकानदारों की दुकानों को गैरकानूनी तरीके से पुलिस की मदद से सील करने के ट्रस्ट सत्ताधीशों के निर्णय की वजह से स्थानीय दुकानदारों में भारी नाराजगी फैल चुकी है । कई दुकानदारों ने पुलिस और ट्रस्ट सत्ताधीशों की यह मनमानी कार्यवाही के विरूद्ध गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी करके उनकी दुकानों को गैरकानूनी सील लगाने के प्रकरण में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है । जिसकी सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, बनासकांठा डीएसपी और अंबाजी पुलिस स्टेशन के इंचार्ज ऑफिसर के विरूद्ध नोटिस जारी करके केस की आगे की सुनवाई आगामी दिनों में रखी गई है । अर्जीकर्ता अनिलकुमार नटवरलाल दवे तथा अन्य द्वारा की गई अर्जी में सीनियर एडवोकेट आर.जे. गोस्वामी ने पेशकश करते हुए बताया है कि, अर्जीकर्ताओं पिछले कई वर्षों से श्री आरासुरी अंबाजी देवस्थान ट्रस्ट के किरायेदार दुकानदार है । २००९ में ट्रस्ट सत्ताधीशों ने अर्जीकर्ता को यात्राधाम का विकास करने का होने से अन्य जगह भेजा गया था, जिसमें अर्जीकर्ता ने सहयोग देकर खुद दूसरी जगह पर शिफ्ट हो गया था । २०१२ में विकासकार्य पूरा होने के बाद ट्रस्ट सत्ताधीशों ने अर्जीकर्ता को फिर से उनकी मूल जगह पर यानी कि अपनी-अपनी दुकानों में चले जाने के लिए कहा गया था । लेकिन आश्चर्य और उल्लेखनीय बात यह थी कि, विकास के नाम पर अर्जीकर्ता की दुकान छिप गया था और अर्जीकर्ता को धंधा-रोजगार मिलना मुश्किल हो जाए ऐसी बदतर स्थिति का निर्माण हो गया था । विकास बाद समग्र परिस्थिति और चित्र बदल जाने से और दुकानदारों की हालत बदतर हो जाने से उन्होंने ट्रस्ट को मूल जगह पर जाने से इन्कार कर दिया था और फिलहाल की जगह पर रहकर किराया चुकाने की विनंती की थी । हालांकि ट्रस्ट सत्ताधीशों ने अर्जीकर्ता की पेशकश को महत्व नहीं देकर उनको अपनी मूल जगह पर शिफ्ट हो जाने का आदेश दिया था । जिसके दुकानदारों ने यह मामले में राहत लेने के लिए दांता की सीविल कोर्ट में दावा किया गया था, जो पेन्डिंग है ।