सीट के विवाद के कारण ट्रेन में जुनैद खान की हत्या से एक बार फिर साबित हुआ है कि भारत में भीड़ द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों पर हमले के मामले बढ़ रहे हैं । मीडिया रिपोर्ट की समीक्षा करें तो पता चलता है कि मई २०१४ के बाद से भीड़ या स्वयंभू संगठनों द्वारा मुसलमानों पर ३२ हमले हुए हैं । इन हमलों में २३ लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं । ये हमलों का एक सामान्य आंकलन है क्योंकि बहुत सारे मामले तो नैशनल मीडिया में कवर भी नहीं होते । इनमें से अधिकत्तर हमले गाय के मुद्दे से जुड़े हुए थे । मसलन- गोहत्या, गाय की तस्करी, बीफ खाने, बीफ रखने आदि के आरोप । झारखंड और पश्चिम बंगाल में कुछ मामलों में अफवाहों और बच्चे चुराने के संदेह की वजह से भी भीड़ हिंसक हो उठी । वहीं, कुछ मामलों में गाय को मुद्दा बनाकर बीभत्स अपराधों को अंजाम दिया गया । जैसे हरियाणा के मेवात में दो महिलाओं से गैंगरेप और उनके दो रिश्तेदारों की हत्या का केस । गाय से जुडे इन अपराधों का दायरा १२ राज्यों में फैला हुआ हैं । चिंताजनक बात यह है कि इन अपराधों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा हैं । जून २०१४ से दिसम्बर २०१५ के बीच गाय से जुड़े अपराधों के ११ केस सामने आए । इसके बाद से इनकी रफ्तार बढ़ गई । २०१६ में १६ केस, जबकि २०१७ के ६ महीनों में ९ केस सामने आ चुके हैं । इनमें से अधिकत्तर हमले उत्तरी भारत में हुए हैं । साफ है कि एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद इस तरह के हमलों में इजाफा हुआ हैं । शायद इसकी वजह यह भी है कि सत्ताधारी भाजपा और उसके सहयोगी संगठन गोरक्षा के मुद्दे को मुखरता से रखते रहे हैं । इसके अलावा भाजपा जिन भी राज्यों में सत्ता में आई है, वहैं गोहत्या से जुड़े कानूनों को कड़ा किया गया हैं ।
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