तेलंगाना सरकार निजी और सरकारी नीलामियों में प्राप्त जमीनों के मालिकाना हक की वैधता की जांच कर रही हैं । इससे हैदराबाद में देश विदेश की दिग्गज कंपनियां चिंतित हैं । निवेशकों के बीच नए सिरे से खलबली मचाने का ताजा मामला तेलंगाना में हुए सबसे बड़े जमीन घोटाले से जुड़ा हैं । यह करीब १५००० करोड़ रुपये कीमत की सैकड़ों एकड़ जमीन का मामला हैं । विपक्ष के हो हल्ला मचाने के बाद सरकार को संदिग्ध जमीन पंजीकरण को रद्द करने का ऐलान करना पड़ा । कुशमैन एंड वेकफिल्ड के एमडी वीरा बाबू ने कहा कि सरकार को अब फिर से सोचना चाहिए और उसे मौजूदा प्रक्रियाओं पर विचार करना एवं निवेशकों के लिए अविवाहित जमीनें निवेशकों के हाथों सौंप देनी चाहिए । ताजा जमीन घोटाला ऐसे वक्त में सामने आया हैं जब कुछ साल बाद हैदराबाद का रियल एस्टेट मार्केट फिर से गति पाने लगा हैं । जून २०१४ में आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद हैदराबाद तेलंगाना के हिस्से में आ गया । तब से हैदराबाद का रीयल्टी मार्केट की चाल सुस्त पड़ी हैं । वेस्टियन ग्लोबल वर्क प्लेस सर्विसेज में एशिया पसिफिक के सीईओ श्रीनिवास राव ने कहा कि यह कुछ वक्त के लिए निश्चित तौर पर मार्केट में निवेश प्रवाह को प्रभावित करेगा । लैंड स्कैम से बड़ा बवंडर खड़ा हो गया हैं । इससे निवेशकों के दिमाग में असमंजस पैदा करेगा । हैदराबाद में जमीन के मालिकाना हक की पेचीदगियों में फंसे निवेशकों में गूगल, माइक्रोसोफ्ट, तिसमन स्पेयर, शपूरजी पालोनजी, डीएलएफ, लैकों, पूर्वोकर, सत्व सलपूरिया और माई होम ग्रुप शामिल हैं । हालत इतनी चिंताजनक है कि सरकार से खरीदी हुई जमीन का भी कोई भरोसा नहीं हैं ।सलपूरिया सत्व ग्रुप के एमडी विजय अग्रवाल कहते हैं, हम केवल सरकार या कारोबारी घरानों से ही जमीन ले रहे हैं । क्योंकि उनमें कोई लफड़ा नहीं हैं ।