अमेरिका ने भारत को २२ गार्जियन ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है । इस ड्रोन का विनिर्माण जनरल अटॉमिक्स डिपार्टमेन्ट कर रहा है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वॉशिंगटन यात्रा से पहले इस सौदे को द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से पासा पलटने वाला माना जा रहा है । इस यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ मोदी की पहली बैठक होगी । सूत्रों ने बताया है कि इस फैसले के बारे में विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार और मैन्युफैक्चरर को अवगत करा दिया है । यह सौदा दो से तीन अरब डॉलर यानी करीब १३० से १९४ अरब रुपये का बैठेगा । मिली जानकारी के अनुसार, यह इस बात का संकेत है कि ओबामा प्रशासन के मुकाबले ट्रंप प्रशान भारत के साथ अपने संबंध को लेकर ज्यादा रिजल्ट ऑरियंटेड है । नाम नहीं छापने की शर्त पर सूत्रों ने बताया है कि डील की अभी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है । स्टेट डिपार्टमेंट और वाइस हाउस ने इस संबंध में किए गए सवालों का तुरंत जवाब नहीं दिया । इस संदर्भ में शीघ्र ही घोषणा की उम्मीद है । उन्होंने बताया कि यह भारत-अमेरिका संबंध का पासा पलटने वाला साबित होगा क्योंकि इससे भारत को अमेरिका द्वारा दिया गया मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा प्रभाव में आ जाएगा । ध्यान रहे कि ओबामा प्रशासन ने भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा देने का फैसला लिया था जिसे अमेरिकी संसद ने मंजूरी दी थी । भारतीय नौसेना ने खुफिया निगरानी और टोही गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होने वाले इस ड्रोन के लिए पिछले साल आग्रह किया था ।
माना जाता है कि ट्रंप प्रशासन को इस संदर्भ में तेज फैसला लेने में यूएस एयरोस्पेस एक्सपर्ट डॉ. विवेक लाल ने अहम भूमिका निभाई है । उन्होंने बोइंग पी८ आईएसआर टेक्नॉलजी के भारत द्वारा अधिग्रहण में भी अहम भूमिका निभाई थी । पीएम मोदी यूएस के दौरे पर जानेवाले हैं, जहां वह डॉनल्ड ट्रंप से क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर बातचीत करेंगे और सामरिक महत्व के द्विपक्षीय क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ाने के रास्तों पर भी विचार-विमर्श करेंगे ।
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