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शिक्षा के नाम स्वनिर्भर स्कूल मुनाफा नहीं कमा सकती : सरकार

गुजरात स्वनिर्भर स्कूल (फीस नियमन) कानून-२०१७ को चुनौती देती कई अर्जी की सुनवाई अब गुजरात हाईकोर्ट ने डे टू डे बेजीज पर शुरू करने का निश्चय किया गया है । राज्य सरकार ने आज फिर एकबार ऐफिडेविट पेश करके स्पष्ट किया था कि, स्वनिर्भर स्कूलों को शिक्षा के नाम पर व्यापारीकरण या मुनाफा नहीं कमा सकती है । सरकार ने अभिभावकों और विद्यार्थियों के विशाल उद्देश्य को ध्यान में रखकर कानून को लागू किया गया है । सरकार ने भी स्पष्ट किया था कि, यह अर्जियों का निराकरण नहीं आये वहां तक स्कूलों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी ।राज्य के फीस नियमन कानून को चुनौती देती विभिन्न स्वनिर्भर स्कूलों की तरफ से की गई अलग-अलग अर्जियों में आज राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को विनंती की गई थी कि, केस की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने यह केस की हररोज की सुनवाई शुरू करके इसका जल्दी से निराकरण लाना चाहिए । जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने अब इस केस में डे टू डे बेजीज पर सुनवाई करने का निश्चय किया गया था । राज्य सरकार की तरफ से आज और एक ऐफिडेविट पेश करते बताया गया है कि, निजी स्वनिर्भर स्कूलों द्वारा अभिभावकों के पास से वसूल की जाती अंधाधुंध और असीमित फीस को नियंत्रित करने के उद्देश्य को लेकर सरकार ने यह कानून लागू किया गया । इसमें से स्वनिर्भर स्कूलों, अल्पसंख्यक स्कूलों कोई अलग नहीं रहे सके क्योंकि कानून सभी को एक समान तरीके से लागू होगा । स्कूलों की तरफ से आरटीई एक्ट के तहत गरीब और जरूरतमंद बच्चों को प्रवेश देने का प्रावधान होने से यह कानून की आवश्यकता नहीं होने का जो मुद्दा उपस्थित किया गया था यह मुद्दे पर सरकार ने बताया है कि, आरटीई एक्ट और स्वनिर्भर स्कूल फीस नियमन कानून दोनों अलग-अलग है । आरटीई एक्ट में ६ से १४ वर्ष के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है, जबकि प्रस्तुत कानून में फीस नियंत्रित करने की बात है, इस तरह दोनों कानून का उद्देश्य और कार्यान्वयन अलग-अलग है, इसी वजह से स्कूल संचालकों अर्जी टिक सके ऐसा नहीं है ।

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