१५ अगस्त १९४७ की आधी रात को मिली आजादी के जश्न के लिए आयोजित समारोह ट्रिस्ट ओफ डेस्टिनी (भाग्य से साक्षात्कार) की तरह ही नरेन्द्र मोदी सरकार १ जुलाई को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) का शुभारंभ संसद के केन्द्रीय कक्ष से करने की योजना बना रही हैं। रविवार को सभी राज्यों ने आजादी के बाद कर सुधार की इस सबसे महत्वकांक्षी पहले के समर्थन में एकजुटता प्रदर्शित की । सरकारी सूत्रों ने कहा कि जीएसटी के मेगा लॉन्च की योजना है, जिसमें सारा ध्यान टैक्स की कम दरों और कई करों की जटीलता से मुति के जरिए कन्ज्यूमर्स को लाभ प्राप्ति सुनिश्चित करने पर हैं । जीएसटी में सेंट्रल एक्साइज और वैट से लेकर सर्विस टैक्स और एंट्री टैक्स तक कई करो को समाहित कर दिया गया हैं । सूत्रों के मुताबिक हालांकि दशकों की प्रक्रिया के बाद तैयार हुए जीएसटी सिस्टम को पहले विज्ञान भवन से लॉन्च करने की योजना थी । जहां केन्द्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों से बनी जीएसटी काउंसिल की ज्यादातर बैठके हुई हैं । लेकिन, अब पार्ल्यामेन्ट के सेन्ट्रल होल जैसे दूसरे विकल्पों पर भी विचार हो रहा हैं जहां राज्यों के नेतृत्व को भी आमंत्रित किया जाएगा । रविवार को जीएसटी मीटिंग के बाद संवाददाताओं से कहा कि हमारे पास जीएसटी को टालने का वक्त नहीं हैं । काउंसिल ने स्पष्ट निर्णय ले लिया है कि इसे १ जुलाई से लागू कर दिया जाएगा । रविवार की मीटिंग में सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए टैक्स की दरें तय हो गई और करीब-करीब सभी नियमों को भी हरी झंडी मिल गई । लोन्चिंग के लिहाज से अब जो थोड़ी बहुत कमियां बच गई होगी, उन्हें दूर करने के लिए ३० जून को जीएसटी काउंसिल की एक और मीटिंग होगी । मीटिंग से निकलते वक्त केरल के वित्तमंत्री थॉमस आइजक ने कहा कि अब कोई संदेह नहीं बचा हैं ।
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