गृह मंत्री अमित शाह ने आर्टिकल ३७० खत्म करने के फैसले की चर्चा करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला । उन्होंने कहा कि कश्मीर का इतिहास तोड़-मरोड़कर देश के सामने रखा गया क्योंकि जिनकी गलतियां थीं उनके हिस्से में इतिहास लिखने की जिम्मेदारी आई । उन्होंने अपनी गलतियों को छिपाकर जनता के सामने रखा । शाह ने कहा कि अब समय आ गया है कि इतिहास सच्चा लिखा जाए और सच्ची जानकारी जनता के सामने रखी जाए । गृहमंत्री ने आज पूर्व सरकारी अधिकारियों के लिए आयोजित कार्यक्रम में आर्टिकल ३७० हटाने के फैसले को ऐतिहासिक बताया । उन्होंने कहा कि बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों ने शुरुआत से आर्टिकल ३७० को खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए । इसे राजनीतिक फैसला करार देनेवाले विपक्ष के आरोपों पर भी शाह ने पलटवार किया । उन्होंने कहा कि बीजेपी जबसे अस्तित्व में आई है एक देश, एक संविधान की बात करती रही है । उन्होंने आश्वासन दिया कि कश्मीरियों पर गोली नहीं चलेगी । बीजेपी अध्यक्ष ने आर्टिकल ३७० पर बीजेपी के स्टैंड को साफ करते हुए कहा कि पार्टी की ओर से इसके लिए लंबे समय से संघर्ष किया गया । उन्होंने कहा, हम सिर्फ बोलते नहीं हैं, हमने इसके खिलाफ बार-बार आंदोलन किए । जब तक आर्टिकल ३७० नहीं हटा तब तक ११ अलग-अलग आंदोलन हुए । बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों ने इसके लिए मास मॉबलाइजेशन किया था । जो लोग हम पर आरोप लगाते हैं कि यह राजनीतिक स्टैंड है, उनको मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह हमारा स्टैंड तब से है जब से मेरी पार्टी बनी । कश्मीर की स्थिति को लेकर अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा । उन्होंने कहा कि आजादी के वक्त मुख्य तौर पर कांग्रेस पार्टी ही बातचीत कर रही थी । उन्होंने कहा, मुख्य तौर पर अंग्रेजी शासन से कांग्रेस पार्टी ही आजादी को लेकर विचार-विमर्श करती थी, अन्य दल भी थे । दुनिया के किसी भी देश में ऐसा नहीं हुआ कि आजादी के वक्त देश की स्थिति आजादी से पहले की तय कर दी जाए । उसमें तय हुआ कि भारत को ६३१ खंडों में बांट देंगे, उस वक्त अगर ब्रिटेन की संसद एक प्रस्ताव पास कर देती तो ६३० रियासतें तत्काल भारत में मिल जातीं, लेकिन ऐसा हो न सका । इसके लिए कोशिश भी नहीं की गई । विचार-विमर्श भी नहीं किया गया, बातचीत की भी कोशिश नहीं की गई । शाह ने कांग्रेस पर अटैक करते हुए कहा, जब अपनी सेना जीत रही थी तो युद्धविराम क्यों किया गया । असमय युद्धविराम करने की क्या मजबूरी थी । उसके बाद यूएन में जाने का निर्णय भी पीएम नेहरू का व्यक्तिगत निर्णय था और मेरी समझ में यह हिमालय से भी बड़ी गलती थी । यह दो देशों के बीच का मसला था । चार्टर का भी गलत सिलेक्शन किया गया था । गृह मंत्री ने कश्मीर में हालात नियंत्रण में रहने का ऐलान किया । उन्होंने कहा, कश्मीर की जनता पर गोली नहीं चलेगी लेकिन अगर कोई आतंकी आता है तो उस पर गोली तो जरूर चलेगी । फिर वह कश्मीर में हो या देश के किसी अन्य हिस्से में । कश्मीर का इतिहास तोड़-मरोड़कर देश के सामने रखा गया क्योंकि जिनकी गलतियां थीं उनके हिस्से में इतिहास लिखने की जिम्मेदारी आई । उन्होंने अपनी गलतियों को सील्ड करके जनता के सामने रखा । अब समय आ गया है इतिहास सच्चा लिखा जाए और सच्ची जानकारी जनता के सामने रखी जाए । गृह मंत्री ने आर्टिकल ३७० हटाने के फैसले पर यह भी कहा कि आम जनता और कश्मीरियों में इससे जुड़ी भ्रांतियों को खत्म करना है । उन्होंने कहा, बहुत सारी भ्रांतियां और गलतफहमियां अनुच्छेद ३७० और कश्मीर के बारे में आज भी फैली हुई हैं । उनका स्पष्ट होना जरूरी है । जितना स्पष्ट कश्मीर की जनता के सामने होना जरूरी है, उतना ही स्पष्ट भारत की जनता में भी होना जरुरी है ।
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