ऐसे में जब वित्त वर्ष २०१८-१९ के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर पर ६.८ प्रतिशत रही है और समूची अर्थव्यवस्था के मंदी से गुजरने के आंकड़े आ रहे हैं, बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी ने अजीब बयान दिया है । सुशील मोदी ने अपने एक ट्वीट में मंदी को हर साल होने वाली एक घटना बताते हुए कहा है कि इस साल कुछ लोग मंदी का शोर मचाकर चुनाव में मिली हार की खीझ उताार रहे हैं ।
रविवार शाम को पोस्ट अपने ट्वीट में सुशील मोदी ने लिखा है, वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है लेकिन इस बार मंदी का ज्यादा शोर मचाकर कुछ लोग चुनावी पराजय की खीझ उतार रहे हैं ।
मोदी ने अपने ट्वीट में मंदी से निपटने के केंद्र सरकार के उपायों का जिक्र करते हुए कहा है, केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए ३२ सूत्री राहत पैकेज की घोषणा और १० छोटे बैंकों के विलय की पहले से लेंडिंग कैपिसिटी बढ़ाने जैसे जो चौतरफा उपाय किए हैं, उनका असर अगली तिमाही में महसूस किया जाएगा ।बिहार में मंदी को बेअसर बताते हुए सुशील मोदी का कहना है, बिहार में मंदी का खास असर नहीं है इसलिए वाहनों की बिक्री नहीं घटी है । केंद्र सरकार जल्द ही तीसरा पैकेज घोषित करने वाली है ।गौरतलब है वित्त वर्ष २०१८-१९ की आखिरी तिमाही के आधार पर भारत दुनिया का सबसे तेज आर्थिक विकास दर वाला देश नहीं रहा । अब इसकी जगह चीन ने ले लिया है । इस तिमाही में भारत की वृद्धि दर ५.८ फीसदी रही तो चीन की आर्थिक विकास दर ६.४ फीसदी रही है । हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर जॉबलेस ग्रोथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि अकेले ऑटोमोबाइल सेक्टर में ही ३.५ लाख लोगों की नौकरियां गई हैं । इसके अलावा असंगठित क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर नौकरियां गई हैं, जिससे कमजोर तबके के मजदूरों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है ।