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हर्षोल्लास के बीच जन्माष्टमी का त्यौहार को मनाया गया

अहमदाबाद सहित राज्यभर में गत दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पवित्र पर्व जन्माष्टमी त्यौहार हर्षोल्लास और भक्तिभाव के साथ मनाया गया । अहमदाबाद शहर सहित राज्यभर के कृष्ण मंदिर रात के १२ बजे राज्यभर के कृष्णमंदिर सहित के मंदिरों में कृष्ण कनैयालाल की जय, नंद घेर आनंद भयो, जय कनैयालाल की, हाथीघोडा पालखी-जय कनैयालाल की नारे से गूंज उठे । तीर्थधाम द्वारका, डाकोर और शामलाजी में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचे तो दूसरी तरफ, शहर के जगन्नाथजी मंदिर, सोला भागवत के रसराजप्रभुजी के मंदिर, इस्कोन में राधाकृष्ण मंदिर, भाडज के हरेकृष्ण मंदिर, आश्रम रोड पर वल्लभसदन, जमालपुर जगन्नाथजी मंदिर सहित के कृष्णमंदिरों में भी कृष्ण भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों में हौड़ मच गई थी । जन्माष्टमी को लेकर देर रात तक कृष्णमंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली थी । जन्माष्टमी त्यौहार को लेकर शहर सहित राज्यभर में कृष्णभक्ति का माहौल छाया रहा । द्वारका, डाकोर, शामलाजी, गांधीनगर जिले के डभोडा गांव में, अहमदाबाद में सोला भागवत, राजकोट सहित के स्थलों पर तो जन्माष्टमी को लेकर दो से तीन दिन के भव्य लोकमेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे । लोग जैसे कृष्ण जन्मोत्सव के जश्न में व्यस्त हो गये । देवभूमि द्वारका, डाकोर और शामलाजी में तो जैसे कृष्णभक्ति की पराकाष्ठा के दृश्य भक्तों के प्रेम में देखने को मिला । जन्माष्टमी के अवसर पर डाकोर के प्रसिद्ध रणछोडरायजी मंदिर में रात को १२ बजे भगवान को पंचामृत स्नान कराया गया । इसके बाद रणछोडरायजी को आभूषणों, गहने पहनाकर अद्‌भुत श्रृंगार किया गया । जन्माष्टमी के मौके पर रणछोडराय को विशेष रत्नजडित मुकूट पहनाया गया । भगवान रणछोडरायजी को पहनाये गये सवा लाख के मुकूट की कीमत आज से करीब तीन सौ से चार सौ वर्ष पहले सवा लाख रुपये की थी, यानी कि विचार करो कि श्रीकृष्ण भगवान सही अर्थ में राजा रणछोड के तौर पर पहनते थे । इसके बाद कृष्ण भगवान को सोने के झुले में झुलाया गया तब मंदिर और मंदिर परिसर में पहुंचे लाखों भक्त नंद घेर आनंद भयो, जय कनैयालाल की, हाथीघोडा पालखी-जय कनैयालाल की कृष्ण कनैयालाल की जय नारे लगाये गये थे । रविवार को सुबह में ५.०० से ५.३० बजे महाभोग की आरती हुई थी और नोम का पवित्र दिन होने से कृष्ण भगवान को झुले में झुलाया गया इसके साथ नंदमहोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । इस दौरान सुप्रसिद्ध द्वारका में जन्माष्टमी के दिन सुबह में ८ बजे द्वाराकाधीशजी को खुले पर्दे पंचामृत स्नान कराया गया । यह पूरे वर्ष में जन्माष्टमी के एक ही दिन खुले पर्दे की स्नानविधि होती है, यह देखकर भक्त धन्य हो गये । इसके बाद आरती और दर्शन, दोपहर में १२ बजे राजभोग, शाम को पांच बजे से दर्शन, संध्या आरती सहित नौ बजे तक दर्शन खुला रहा । रात को १२ बजे द्वारकाधीशजी की आरती करके सामने देवकीमंदिर में जन्मोत्सव त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ।
द्वारकाधीशजी की जय, बालगोपाल लालजी की जय सहित के नारे मंदिर परिसर में गूंज उठे जिसकी वजह से भक्ति का माहौल छा गया । द्वारकाधीशजी को जन्माष्टमी को लेकर विशेष श्रृंगार किया गया । लाखों भक्तों की भीड़ को लेकर देर रात तक द्वारका मंदिर खुला रखा गया । रविवार को सुबह से नवमी के झूले में भगवान को झुलाया गया । इसी प्रकार से शामलाजी मंदिर में भी जन्माष्टमी का त्यौहार और कृष्ण जन्मोत्सव का त्यौहार मनाया गया । शामलिया ठाकर का जन्माष्टमी के अवसर पर भव्य श्रृंगार अत्यंत मनमोहक लग रहा था । डाकोर, द्वारका और शामलाजी तीनों मंदिरों को जगमगाती रोशनी से सजाया गया । जन्माष्टमी के त्यौहार को लेकर शहर के जगन्नाथजी मंदिर, सोला भागवत के रसराजप्रभुजी के मंदिर, इस्कोन, भाडज के हरेकृष्ण मंदिर, आश्रम रोड पर वल्लभसदन, सहित के कृष्णमंदिरों में भी पंचामृत स्नान, आरती, भव्य श्रृंगार, कृष्ण जन्मोत्सव, झुला और रविवार को नंद महोत्सव सहित को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया देर रात तक राज्यभर के सभी कृष्ण भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों में हौड़ मच गई थी । जन्माष्टमी त्यौहार को लेकर शहर सहित राज्यभर में कृष्णभक्ति का माहौल छाया रहा । कृष्ण मंदिर रात के १२ बजे राज्यभर के कृष्णमंदिर सहित के मंदिरों में कृष्ण कनैयालाल की जय, नंद घेर आनंद भयो, जय कनैयालाल की, हाथीघोडा पालखी-जय कनैयालाल की नारे से गूंज उठे ।

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